सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन पांच न्यायाधीशों की एक और संविधान पीठ का गठन किया, जो पांच महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी, जिनमें नोटबंदी के फैसले को चुनौती संबंधी याचिकाएं भी शामिल हैं. बताते चले कि केंद्र सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई है, जिनकी अब सुनवाई होगी.
संविधान पीठ 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने संबंधी केंद्र सरकार के 8 नवंबर, 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं की सुनवाई शुरू करेगी. 16 दिसंबर, 2016 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के निर्णय की वैधता और अन्य प्रश्नों को पांच न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था.
चौथी संविधान पीठ सार्वजनिक और सरकार के पदाधिकारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दों से जुड़े अन्य विवादास्पद मुद्दों पर भी सुनवाई करेगी. तीसरा मुद्दा जो इस संविधान पीठ द्वारा सुना जाएगा, वह इस सवाल से संबंधित है कि क्या कोई सांसद या विधायक संबंधित सदन में भाषण या वोट देने के लिए रिश्वत लेने के मामले में आपराधिक मुकदमे से छूट का दावा कर सकता है.
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जानकारी हो कि पांच-सदस्यीय तीन संविधान पीठ वर्षों से लंबित विभिन्न मामलों की सुनवाई कर रही है. जिनकी अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल कर रहे हैं. वहीं, चौथी संविधान पीठ की अध्यक्षता न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर करेंगे और इसमें न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति बी .वी नागरत्ना शामिल होंगे. यह संविधान पीठ बुधवार से पांच मामलों की सुनवाई करेगी.
(भाषा- इनपुट के साथ)