1991 के पूजा स्थल कानून को लागू करने की असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट में AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने 1991 के पूजा स्थल कानून को लागू करने की मांग वाली याचिका डाली है. इसपर कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति जताई है.

By Amitabh Kumar | January 2, 2025 12:04 PM

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के पूजा स्थल कानून को लागू करने के अनुरोध वाली एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर विचार करने की सहमति जता दी है. कोर्ट ने ओवैसी की याचिका को लंबित मामलों के साथ जोड़ते हुए कहा कि मामले में 17 फरवरी को सुनवाई होगी. इस कानून के तहत किसी भी स्थान का धार्मिक चरित्र वैसा ही रहेगी जैसा 15 अगस्त, 1947 को था.

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने आदेश दिया कि ओवैसी की नयी याचिका को इस मामले में लंबित मामलों के साथ संलग्न किया जाए. सुनवाई शुरू होने पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष ओवैसी की ओर से पेश हुए वकील निजाम पाशा ने कहा कि कोर्ट इस मुद्दे पर विभिन्न याचिकाओं पर विचार कर रही है और नयी याचिका को भी उनके साथ संलग्न किया जा सकता है. इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम इस मामले को संबंधित अन्य मामलों के साथ संलग्न कर रहे हैं.’’

ओवैसी ने याचिका में उन मामलों का भी जिक्र किया जहां कई कोर्ट ने हिंदू वादियों की याचिकाओं पर मस्जिदों के सर्वेक्षण का आदेश दिया था.

वकील एवं सांसद ओवैसी ने याचिका 17 दिसंबर, 2024 को शीर्ष कोर्ट में दाखिल की थी. उन्होंने वकील फुजैल अहमद अय्यूबी के जरिये कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हालांकि, 12 दिसंबर को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस कानून के विरुद्ध इसी तरह की याचिकाओं पर सुनवाई की. इसमें उन्होंने धार्मिक स्थलों खासकर मस्जिदों एवं दरगाहों पर पुनर्दावों की मांग वाले लंबित मामलों पर कोई भी अंतरिम या अंतिम आदेश जारी करने के साथ-साथ, नई याचिकाएं स्वीकार करने पर रोक लगा दी थी.

क्या है पूजा स्थल कानून ?

पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 एक अधिनियम है. यह 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में आए हुए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक आस्था से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने पर रोक लगाता है. साथ ही किसी स्मारक के धार्मिक आधार पर रखरखाव पर रोक लगाता है. यह केंद्रीय कानून 18 सितंबर, 1991 को पारित किया गया था. हालांकि, अयोध्या विवाद को इससे बाहर रखा गया था. ऐसा इसलिए क्योंकि उस पर कानूनी विवाद पहले से चल रहा था.

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