दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राकेश अस्थाना और केंद्र दोनों को नोटिस भेजा गया है. कोर्ट ने दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है. वकील प्रशांत भूषण ने नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका में कहा है कि नियमों को ताक पर रखकर राकेश अस्थाना की नियुक्ति की गई है.
बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने अस्ताना की नियुक्ति को सही ठहराया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 अक्टूबर को अपने फैसले में अस्थाना को दिल्ली का पुलिस आयुक्त नियुक्त करने के केंद्र के फैसले को सही बताया था. इसके साथ ही ये भी कहा था कि उनकी नियुक्ति में किसी भी तरह की अवैधता या अनियमित्ता नहीं हुई है. हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया था. और केंद्र सरकार की तरफ से दी गई दलीलों को सही ठहराया था.
कब हुई थी नियुक्ति
राकेश अस्थाना गुजरात केडर के 1884 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वह सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के महानिदेशक के तौर पर सेवाएं दे रहे थे. जिसके बाद वो 31 जुलाई को सेवानिवृत होने से ठीक 4 दिन पहले 27 जुलाई को उन्हें दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया था. पुलिस कश्मिनर के तौर पर उनका कार्यकाल 1 साल का होना है. वहीं, इससे पहले भी 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हो चुकी है. जिसमें हाई कोर्ट के फैसले को आधार बना कर नई याचिका दाखिल करने की इजाजत दी गई थी.
केंद्र की दलील
केंद्र का कहना है कि दिल्ली के पुलिस प्रमुख के रूप एक अनुभवी अधिकारी की नियुक्ति की जरूरत थी. जिसके पास राज्य में किसी बड़े पुलिस बल की अगुवाई करने के साथ राजनीतिक और लोक व्यवस्था से जुड़ी समस्या से निपटने का अनुभव हो. इसके अलावा किसी केंद्रीय जांच एजेंसी और अर्धसैनिक बलों में काम करने का भी अनुभव हो.