नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मेट्रो डेयरी लिमिटेड में 47 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के मामले के खिलाफ कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की याचिका को खारिज कर दिया है. अधीर रंजन चौधरी ने मेट्रो डेयरी की हिस्सेदारी बेचने के खिलाफ जांच करने की मांग करते हुए सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की थी. अदालत ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के कदम को विवेकपूर्ण फैसला बताते हुए अधीर रंजन चौधरी की याचिका को खारिज कर दिया.
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ कांग्रेस नेता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि राज्य सरकार ने संपत्ति की बिक्री से संबंधित नियमों का पालन नहीं किया. सर्वोच्च अदालत ने कांग्रेसी नेता अधीर रंजन चौधरी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने सही फैसला लिया और शेयर बाजार में ऐसा ही होता है, क्योंकि कीमतें किसी दिन ऊपर जाती हैं और अगले दिन नीचे आ जाती हैं. अदालत ने कहा कि नीलामी विवेकपूर्ण निर्णय है. हमारी राय है कि अपनाई गई प्रक्रिया सही और पारदर्शी थी.
इसके साथ ही, पीठ ने आदेश दिया कि वकील को सुनने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा पैराग्राफ संख्या में दर्ज निष्कर्ष पर गौर करते हुए इस अदालत के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है. विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है. सुनवाई की शुरुआत में वकील मनिंदर सिंह ने राज्य सरकार के फैसले और हाईकोर्ट के बाद के फैसले को गलत बताया और कहा कि एक निर्धारित प्रक्रिया है, जिसके लिए एक समिति गठित करने की आवश्यकता थी, जो विनिवेश और इसके लिए जाने के तरीकों की सिफारिश करती.
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इस आधार को हाईकोर्ट के सामने नहीं रखा गया, बल्कि फैसले में यह उल्लेख किया गया है कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया गया, जिससे यह साबित हो सके कि नीलामी किसी नियामक या वैधानिक मानदंडों के खिलाफ थी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 जून को लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें हिस्सेदारी बिक्री की जांच कराने का अनुरोध किया गया.
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि हिस्सेदारी की बिक्री न तो अवैध थी और न ही मनमानी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि केवेंटर एग्रो को शेयर की बिक्री के लिए राज्य ने कोई गैर-पारदर्शी तरीका नहीं अपनाया और इस तरह हस्तक्षेप के लिए कोई मामला नहीं बनता. चौधरी ने अपनी जनहित याचिका में आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ने बगैर किसी उचित कारण के किसी पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किए बिना मेट्रो डेयरी में अपनी हिस्सेदारी बहुत कम कीमत पर बेच दी.