नई दिल्ली : गहरे आर्थिक संकट की मार झेल रहे केरल में मशहूर श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ट्रस्ट का 25 साल का ऑडिट होगा. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ट्रस्ट की ओर से 25 साल के ऑडिट से छूट देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तरीके से मंदिर ट्रस्ट को ऑडिट से छूट देने से इनकार कर दिया है.
सर्वोच्च अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वर्ष 2020 में उसकी ओर से दिया गया आदेश केवल मंदिर पर ही नहीं, बल्कि ट्रस्ट पर भी लागू होता है. अदालत ने तीन महीने के भीतर ऑडिट के काम को पूरा कर लेने का निर्देश दिया है.
मंदिर प्रशासन समिति की ओर से सुप्रीम कोर्ट को दी गई जानकारी के अनुसार, महामारी के इस दौर में केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर आर्थिक संकट की मार से जूझ रहा है. मंदिर प्रशासन का कहना है कि श्रद्धालुओं के चढ़ावे से मंदिर की जरूरतों को पूरा करने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
सर्वोच्च अदालत में प्रशासनिक समिति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील आर बसंत ने कहा कि केरल में सभी मंदिर बंद है. वहीं, इस मंदिर का एक महीने का खर्च करीब 1.25 करोड़ के आसपास है. फिलहाल, चढ़ावे के तौर पर मंदिर को केवल 60 से 70 लाख रुपये ही मिल रहे हैं. ऐसी स्थिति में मंदिर का कामकाज सुचारू रूप से चलाना आसान नहीं है. इसलिए इसमें ट्रस्ट के सहयोग की भी जरूरत है.
मंदिर की प्रशासनिक समिति ने ट्रस्ट के ऑडिट की मांग करते हुए आरोप लगाया कि ट्रस्ट ऑडिट के लिए अपने रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करा रहा है. ट्रस्ट अदालत के आदेश पर बनाया गया है. इसलिए उसे भी मंदिर को अपना योगदान देना चाहिए.
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वर्ष 2013 में कराए गए ऑडिट की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रस्ट के पास 2.87 करोड़ रुपये की नकदी और 1.95 करोड़ रुपये की संपत्ति है. इसलिए मौजूदा समय में ट्रस्ट के पास सही-सही रकम का अंदाजा लगाने के लिए ऑडिट की जरूरत है.