23.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Supreme Court: ‘त्वरित सुनवाई का सभी को अधिकार’ सुप्रीम कोर्ट ने NIA को लगाई फटकार, चार साल बाद आरोपी को मिली जमानत

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने चार साल से जेल में बंद एक आरोपी को जमानत दे दिया. कोर्ट ने मुकदमे में देरी के लिए एनआईए को भी फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी पर भले ही गंभीर अपराध का मामला दर्ज हो लेकिन संविधान का अनुच्छेद 21 उसे त्वरित सुनवाई का अधिकार देता है.

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद एक आरोपी पर मुकदमे में देरी के लिए एनआईए को जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि न्याय का कोई मजाक न उड़ाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी पर भले ही गंभीर अपराध का मामला दर्ज हो लेकिन उसे त्वरित सुनवाई का अधिकार है. ऐसे में सुनवाई में देरी के कारण कोई आरोपी की जमानत का विरोध नहीं कर सकता है. बता दें, कथित तौर पर तस्करी के एक मामले में बीते चार से एनआईए की कस्टडी में बंद आरोपी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी. साथ ही कहा कि अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो, आरोपी को भारत के संविधान के तहत त्वरित सुनवाई का अधिकार है.

आरोपी को त्वरित सुनवाई का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी भी आरोपी को त्वरित सुनवाई का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि यह अपराध की प्रकृति पर निर्भर न करते हुए सभी आरोपियों पर लागू होता है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने बंबई हाई कोर्ट की ओर से जमानत देने से इनकार करने के फैसले के खिलाफ आरोपी की याचिका पर सुनवाई की.

सुनवाई को दौरान जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ ने NIA से कहा कि केस शुरू करना आपका दायित्व है. लेकिन इस मामले में आरोपी साल 2020 से जेल में है. लेकिन चार सालों में उस पर आरोप तय नहीं हो सकता है. बंबई हाई कोर्ट से भी आरोपी को जमानत नहीं मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से कहा कि आप न्याय का कृपया मजाक न बनाएं. बीते चाल से आरोपी जेल में है और अब तक मुकदमा शुरू नहीं हुआ है. कोर्ट ने कहा कि यह गलत है. आरोपी ने चाहे जो भी अपराध किया हो उसे त्वरित न्याय का अधिकार है.

जाली नोट लाने का आरोप
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को देखते हुए कहा कि इस केस में 80 गवाह की गवाही होनी है. सभी के बयान दर्ज होने में भी समय लगेगा. ऐसे में आरोपी को तब तक के लिए जेल में रखना सही नहीं है यह कानूनी प्रक्रिया का अपमान है. बता दें, फरवरी 2020 में मुंबई पुलिस ने जाली नोट के आरोप में जावेद गुलाम नबी शेख को गिरफ्तार किया था. आरोपी ने बॉम्बे हाई कोर्ट से जमानत की अपील की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

Also Read: BJP News: प्रकाश जावड़ेकर समेत इन नेताओं को मिली बड़ी जिम्मेदारी, बीजेपी ने 24 राज्यों में नियुक्त किए प्रभारी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें