सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 18-44 साल तक के लोगों को फ्री वैक्सीन ना देना केंद्र सरकार का बहुत ही मनमाना और तर्कहीन फैसला है. कोर्ट ने कहा कि महामारी के बदलते स्वरूप के कारण 18-44 साल तक की एक बड़ी आबादी इस महामारी के चपेट में आयी यही वजह है कि सरकार को अपनी नीति में परिवर्तन करना पड़ा और इस आयुवर्ग के लोगों का वैक्सीनेशन कराने पर जोर देना पड़ा.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह पूछा है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में 35,000 करोड़ रुपये जो वैक्सीन पर खर्च करने के लिए आवंटित किया गया था, उसका इस्तेमाल 18-44 साल तक के लोगों को फ्री वैक्सीन देने पर खर्च क्यों नहीं किया गया और अबतक इस फंड का किस तरह उपयोग किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि कोविड-19 टीकाकरण नीति से जुड़ी अपनी सोच को दर्शाने वाले सभी दस्तावेज और फाइल नोटिंग रिकार्ड पर रखे तथा कोवैक्सीन, कोविशील्ड एवं स्पूतनिक वी समेत सभी टीकों की आज तक की खरीद का ब्योरा पेश करे.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट की विशेष पीठ ने कोविड-19 के प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की है और केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है और अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.
कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह जवाब दाखिल करते हुए यह भी सुनिश्चित करे उसकी टीकाकरण नीति क्या है. न्यायालय की वेबसाइट पर डाले गये 31 मई के आदेश में पीठ ने कहा, हम केंद्र सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश देते हैं. पीठ ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने को कहा कि आदेश में प्रत्येक मुद्दे पर अलग-अलग जवाब दिया जाए. मामले की अगली सुनवाई 30 जून को होगी.
Posted By : Rajneesh Anand