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ईवीएम में सुप्रीम कोर्ट ने कहा – कोर्ट प्रचार करने वाली जगह नहीं, जहां हर कोई पहुंच जाए

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि ईवीएम लंबे समय से इस्तेमाल में है, लेकिन समय-समय पर मुद्दों को उठाने की मांग की जाती रही है.

नई दिल्ली : इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के नियंत्रण वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत ऐसी जगह नहीं जहां हर कोई ‘कुछ प्रचार’ पाने के लिए आन पहुंचे. सर्वोच्च अदालत ने इसके साथ ही एक राजनीतिक दल की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें दावा किया गया था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर चुनाव आयोग का नहीं, बल्कि कुछ कंपनियों का नियंत्रण होता है. अदालत ने 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ याचिका खारिज करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत चुनाव प्रक्रिया की निगरानी चुनाव आयोग (ईसी) जैसे संवैधानिक प्राधिकरण द्वारा की जाती है.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि ईवीएम लंबे समय से इस्तेमाल में है, लेकिन समय-समय पर मुद्दों को उठाने की मांग की जाती रही है. ऐसा प्रतीत होता है कि जिस दल को चुनाव प्रक्रिया के तहत मतदाताओं से मान्यता नहीं मिली है, वह याचिकाएं दायर करके मान्यता लेना चाहता है. पीठ ने कहा, ‘हमारा विचार है कि इस तरह की याचिकाओं को रोका जाना चाहिए और इस प्रकार 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ याचिका खारिज की जाती है. यह राशि आज से चार सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट ग्रुप-सी (गैर-लिपिकीय) कर्मचारी कल्याण संघ के पास जमा कराई जाए.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में भी याचिका हुई थी खारिज

पीठ मध्य प्रदेश जन विकास पार्टी द्वारा हाईकोर्ट के पिछले साल दिसंबर के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर विचार कर रही थी. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी. याचिकाकर्ता दल की ओर से पेश वकील ने संविधान के अनुच्छेद 324 का हवाला दिया, जिसके तहत चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण से संबंधित दायित्व चुनाव आयोग में निहित होता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यद्यपि अनुच्छेद 324 कहता है कि सब कुछ चुनाव आयोग द्वारा नियंत्रित किया जाएगा, लेकिन ईवीएम को कुछ कंपनियों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है.

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याचिका खारिज करने से पहले अदालत ने की टिप्पणी

पीठ ने कहा, ‘क्या आप जानते हैं कि पूरे देश में संसदीय चुनावों में कितने लोग मतदान करते हैं? यह एक बड़ी कवायद है.’ सर्वोच्च अदालत ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता चाहता है कि अदालत इस प्रक्रिया की निगरानी करे कि किस तरीके से ईवीएम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता केवल यह चाहता है कि इस प्रक्रिया में कुछ अंकुश होना चाहिए. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता चाहता है कि अनुच्छेद 324 का क्रियान्वयन सच्ची भावना से किया जाए और सब कुछ आयोग द्वारा नियंत्रित होना चाहिए, न कि किसी कंपनी द्वारा.वकील ने कहा कि वह केवल एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया चाहते हैं. याचिका खारिज करने से पहले पीठ ने कहा कि यह ऐसी जगह नहीं है जहां कोई भी केवल प्रचार पाने के लिए आन पहुंचे.

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