‘कोरोना वैक्सीन के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता’, सुप्रीम कोर्ट ने कहा

वैक्‍सीनेशन नहीं करवाने वालों के सार्वजनिक स्थलों पर जाने को लेकर लगाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट ने बताया अनुचित, राज्यों को ऐसे प्रतिबंध हटाने का दिया सुझाव दिया. कोर्ट ने कहा कि वैक्सीन के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 2, 2022 11:50 AM

Corona Vaccination in India : देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वैक्सीन के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि वर्तमान कोविड-19 वैक्‍सीन नीति को स्पष्ट रूप से मनमाना नहीं कहा जा सकता है. संविधान के तहत शारीरिक स्वायत्तता और अखंडता की रक्षा की जाती है और किसी को भी वैक्‍सीनेशन कराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.


कोर्ट ने दिया ये निर्देश

वैक्‍सीनेशन नहीं करवाने वालों के सार्वजनिक स्थलों पर जाने को लेकर लगाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट ने अनुचित बताया, साथ ही राज्यों को ऐसे प्रतिबंध हटाने का सुझाव दिया. कोर्ट ने निर्देश दिया है कि कोविड-19 वैक्‍सीनेशन के प्रतिकूल प्रभावों का आंकड़ा केंद्र सरकार सार्वजनिक करे.

अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित करने वाली याचिका पर सुनवाई

गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट में कोरोना वैक्सीनेशन की अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित करने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही थी जिस दौरान कोर्ट की ओर से यह टिप्पणी की गई.

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किसी को नहीं किया जा सकता मजबूर

देश में कोविड संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि कोरोना का वैक्सीन लगवाने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता है. नीति निर्माण पर कुछ कहना ठीक नहीं है. सरकार जनहित में लोगों को जागरूक करने का काम कर सकती है.

सरकार जनहित में लोगों को जागरूक करे

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार जनहित में लोगों को जागरूक करने का काम कर सकती है. बीमारी की रोकथाम के लिए पाबंदियां लगाने की प्रक्रिया की जा सकती है लेकिन वैक्‍सीन लगवाने और किसी तरह का खास दवा लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. कुछ सरकारों ने महामारी के दौरान वैकसीनेशन की अनिवार्यता को लेकर जो पाबंदियां लगाई थी उन्हें फौरन हटाने की जरूरत है.

प्रतिबंध लागू हो तो उसे हटाया जाए

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत शारीरिक स्वायत्तता और अखंडता की रक्षा की जाती है. पीठ ने कहा कि संख्या कम होने तक, हम सुझाव देते हैं कि संबंधित आदेशों का पालन किया जाए और वैक्‍सीनेशन नहीं करवाने वाले व्यक्तियों के सार्वजनिक स्थानों में जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाए. यदि पहले से ही कोई प्रतिबंध लागू हो तो उसे हटाया जाए.

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