Supreme Court News सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यूपीएससी के सफल अभ्यर्थियों को उनकी पसंद का कैडर और नियुक्ति का स्थान पाने का कोई अधिकार नहीं है. क्योंकि, अखिल भारतीय सेवाओं के उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने देश में कहीं भी सेवा देना स्वीकार किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंडल मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले का हवाला देते हुए यह भी कहा कि अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार को यदि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा सामान्य श्रेणी के तहत चुनने के योग्य पाया जाता है तो उसे अनारक्षित रिक्तियों में नियुक्ति दी जाएगी. कोर्ट ने यह टिप्पणी केरल हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की अपील पर की.
देश के शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को हिमाचल प्रदेश में पदस्थ मुस्लिम महिला आईएएस अधिकारी ए शायनामोल को उनका गृह कैडर केरल आवंटित करने को कहा था. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि एससी, एसटी या ओबीसी वर्ग से आने वाला कोई उम्मीदवार यदि आरक्षण का लाभ नहीं लेता है और सामान्य श्रेणी में चुना जाता है तो बाद में वह कैडर या पसंद के स्थान पर नियुक्ति पाने के लिए आरक्षण का सहारा नहीं ले सकता.
कोर्ट ने कहा कि अखिल भारतीय सेवा के उम्मीदवार के रूप में आवेदक ने देश में कहीं भी सेवा देना स्वीकार किया है. सेवा में चयनित हो जाने के बाद गृह कैडर के लिए कोशिशें शुरू हो जाती हैं. पीठ ने यह भी कहा कि कैडर आवंटन अधिकार का मामला नहीं है.
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