पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने 1988 के रोड रेज मामले में एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को पहले सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था, लेकिन पीड़ित के परिजनों ने रिव्यू पिटिशन दाखिल किया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक साल की सजा सुनायी है.
SC allows review application, imposes one-year rigorous imprisonment on Congress leader Navjot Singh Sidhu in a three-decade-old road rage case pic.twitter.com/cyYfsXh92o
— ANI (@ANI) May 19, 2022
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में अपना आदेश सुरक्षित रखा था. याचिका कर्ता ने नवजोत सिंह सिद्धू के लिए कठिन से कठिन सजा की मांग की थी. याचिका कर्ता के लिए यह केस हत्या का था, वे इसे गैरइरादतन का मामला मानने को तैयार नहीं थे.
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हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क दिया था कि उनके एक मुक्का मारने से बुजुर्ग की मौत हुई हो, इसके कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं. सिद्धू का आरोप था कि पीड़ित परिवार उनके खिलाफ केस खुलवाने के लिए दुर्भावनापूर्ण प्रयास कर रहा है.
नवजोत सिंह सिद्धू पर 1988 में गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ था. घटना कुछ प्रकार है कि 1988 की एक शाम को नवजोत सिंह सिद्धू अपने दोस्तों के साथ घूमने निकले थे, पटियाला के एक मार्केट में उनकी एक बुजुर्ग के साथ कार पार्किंग को लेकर बहस हो गयी थी. मामला मारपीट तक पहुंच गया था और सिद्धू ने बुजुर्ग की पिटाई कर दी थी. अस्पताल में भरती किये जाने के बाद बुजुर्ग की मौत हो गयी थी. उसके परिजनों ने केस दायर किया था मामला निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अब यह फैसला सामने आया है.
58 साल के नवजोत सिंह सिद्धू ने 1999 में क्रिकेट को अलविदा कह दिया था और साल 2004 में इन्होंने भाजपा ज्वाइन किया था और अमृतसर सीट से चुनाव लड़ा था. वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे. 2017 में नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर लिया था. लेकिन वे यहां भी टिककर नहीं रह सके. अपनी महत्वाकांक्षा की वजह से उनकी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर से नहीं बनी और उन्होंने कैबिनेट से त्यागपत्र दे दिया. बाद में पार्टी ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया, लेकिन उन्होंने इस पद से भी त्यागपत्र दे दिया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया. 2022 के विधानसभा चुनाव में वे अमृतसर पूर्व सीट से चुनाव लड़े लेकिन वे आप नेता से चुनाव हार गये.