Supreme Court: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकार के कई मुद्दों को लेकर तकरार है. कई मामलों में अधिकार के विवाद का मामला अदालत में चल रहा है. ऐसा ही एक मामला दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर था. वर्ष 2022 में दिल्ली नगर के 250 सीटों पर हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 15 साल बाद भाजपा को नगर निगम की सत्ता से बाहर कर दिया था. इस चुनाव में आप को 134, भाजपा को 104 और कांग्रेस को 9 सीटें हासिल हुई. लेकिन नगर निगम में उपराज्यपाल द्वारा 10 एल्डरमैन की नियुक्ति की जाती है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नगर निगम में 10 एल्डरमैन की नियुक्ति कर दी. इस फैसले को आम आदमी पार्टी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उपराज्यपाल बिना कैबिनेट की सहमति के एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है.
क्या होता है एल्डरमैन
दिल्ली नगर निगम कानून 1957 के तहत दिल्ली के उपराज्यपाल निगम में 25 साल से ऊपर की उम्र के दस लोगों को एल्डरमैन के तौर पर मनोनीत कर सकते हैं. नगरपालिका प्रशासन में अनुभव रखने वाले लोगों को इस पद के लिए नियुक्त किया जाता है. एल्डरमैन मेयर के चुनाव में वोट नहीं डाल सकते लेकिन वार्ड समिति के सदस्य के तौर पर एल्डरमैन के नगर निगम के 12 जोन में से प्रत्येक के लिए एक प्रतिनिधि चुनने के लिए वोट डालने की शक्ति होती है.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने फैसले में कहा है कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 3(3)(बी) में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि उपराज्यपाल 25 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को एल्डरमैन के तौर पर नियुक्त कर सकते हैं. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में उपराज्यपाल को पूरा अधिकार है.
ReplyForward |