सुप्रीम कोर्ट ने पलटा दिल्ली HC का फैसला, सहारा ग्रुप की कंपनियों की SFIO जांच पर लगाई थी रोक
मामला न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था. सहारा समूह की कंपनियों की ओर से पेश अधिवक्ता ने पीठ से इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई करने का अनुरोध किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह से संबंधित नौ कंपनियों की एसएफआईओ जांच पर रोक लगाने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है. इससे पहले शीर्ष कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि वह गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ, SFIO) की उस याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगा जिसमें सहारा समूह (Sahara Group) से संबंधित नौ कंपनियों की जांच पर रोक लगाने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है.
Supreme Court sets aside the Delhi High Court order granting interim relief and staying the investigation into companies related to Sahara Group.
SC allows plea filed by SFIO challenging a Delhi HC order staying the investigation into nine companies related to the Sahara Group.
— ANI (@ANI) May 26, 2022
यहां चर्चा कर दें कि मामला न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था. सहारा समूह की कंपनियों की ओर से पेश अधिवक्ता ने पीठ से इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई करने का अनुरोध किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह से संबंधित नौ कंपनियों की ‘सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस’ (एसएफआईओ) जांच पर रोक लगाने का दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अवकाशकालीन पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ एसएफआईओ की अपील को मंजूरी दे दी. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला मामले में जांच पर रोक लगाने के लिए ‘‘उचित नहीं” था.
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क्या है मामला
गौर हो कि एसएफआईओ ने दिल्ली हाई कोर्ट के 13 दिसंबर 2021 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने सहारा समूह के प्रमुख और अन्य के खिलाफ बाद की सभी कार्रवाइयों पर रोक लगा दी थी, जिसमें दंडात्मक कार्रवाई और लुकआउट नोटिस शामिल है. शीर्ष कोर्ट 17 मई को एसएफआईओ की याचिका पर विचार करने को तैयार हो गया, जिसमें सहारा समूह की कंपनियों को राहत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी.