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ईसाई संस्थानों और पुजारियों पर हमलों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, बिहार-झारखंड सहित इन राज्यों से मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों के मुख्य सचिवों को एफआईआर दर्ज करने, जांच की स्थिति, गिरफ्तारी और चार्जशीट दाखिल करने के संबंध में जानकारी देना सुनिश्चित करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो महीने का समय दिया.

ईसाई संस्थानों और पुजारियों पर कथित हमलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा एक्शन लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय को उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, ओडिशा, मध्य प्रदेश, बिहार, कर्नाटक और झारखंड से इस मामले में उठाए गए कदमों पर सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त करने का आदेश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के मुख्य सचिवों से रिपोर्ट तैयार करने के लिए दिया दो महीने का समय

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों के मुख्य सचिवों को एफआईआर दर्ज करने, जांच की स्थिति, गिरफ्तारी और चार्जशीट दाखिल करने के संबंध में जानकारी देना सुनिश्चित करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो महीने का समय दिया.

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केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से ईसाइयों के उत्पीड़न मामले पर दर्ज याचिका में दिया जवाब

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दावा किया कि देश में ईसाई समुदाय के सदस्यों पर कथित हमलों को रोकने का निर्देश देने के लिए दायर याचिका छिपे हुए एजेंडे’ के तहत दायर की गई है और यह आधे-अधूरे और स्व हित साधने वाले तथ्यों एवं लेखों व रिपोर्ट पर आधारित है. गृह मंत्रालय ने अपने जवाबी हलफनामा में कहा कि हाल में यह परिपाटी बन गई है कि कुछ संगठन लेख छपवाते हैं और स्व हित साधने वाली रिपोर्ट स्वयं या अपने सहयोगियों के जरिये तैयार करते हैं, जिसके आधार पर अंतत: रिट या जनहित याचिका दायर की जाती है.

केंद्र ने कहा, ईसाईयों के कथित उत्पीड़न की अधिकतर घटनाएं या तो झूठी हैं या गलत

केंद्र ने कहा कि जांच में खुलासा हुआ कि इन रिपोर्ट में दर्ज ईसाईयों के कथित उत्पीड़न की अधिकतर घटनाएं या तो झूठी हैं या गलत तरीके से पेश की गई हैं और याचिकाकर्ता स्व हित साधने वाले लेखों और रिपोर्ट के आधार पर इच्छा रखता है कि अदालत उनकी मंशा के अनुसार जांच करे. सरकार ने कहा कि मामूली विवाद के मामलों में कोई धार्मिक या सांप्रदायिक कोण नहीं होता. उसने कहा कि ऐसी घटनाओं को भी स्व हित साधने वाली रिपोर्ट में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की घटना के तौर पर प्रकाशित किया जाता है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा, ऐसा लगता है कि इस तरह की याचिकाएं दायर करने, पूरे देश में अशांति पैदा करने और यहां तक हमारे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के लिए विदेश से सहायता लेने के पीछे एक छिपा हुआ एजेंडा है.

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