Supreme Court: फीस के अभाव में वंचित छात्र को अब आईआईटी धनबाद में मिलेगा दाखिला 

शीर्ष अदालत ने तय समय पर 17500 रुपये की फीस जमा नहीं करने वाले दलित छात्र को आईआईटी, धनबाद में दाखिला देने का आदेश दिया है. समय पर 17,500 रुपये की फीस ऑनलाइन नहीं भर पाने के कारण दलित छात्र का दाखिला नहीं हो पाया था. सोमवार को शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रतिभाशाली छात्र को निराश नहीं किया जाना चाहिए.

By Vinay Tiwari | September 30, 2024 4:58 PM
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Supreme Court: गरीब छात्र के भविष्य के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया. शीर्ष अदालत ने तय समय पर 17500 रुपये की फीस जमा नहीं करने वाले दलित छात्र को आईआईटी, धनबाद में दाखिला देने का आदेश दिया है. समय पर 17,500 रुपये की फीस ऑनलाइन नहीं भर पाने के कारण दलित छात्र का दाखिला नहीं हो पाया था. सोमवार को शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रतिभाशाली छात्र को निराश नहीं किया जाना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने आईआईटी धनबाद को आदेश दिया कि छात्र को आवंटित इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला दिया जाए.

अदालत ने कहा कि इस छात्र के लिए विशेष सीट की व्यवस्था हो ताकि अन्य छात्रों के दाखिले के साथ किसी तरह का छेड़छाड़ नहीं हो सके. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालत में मौजूद छाच् को ऑल द बेस्ट कहते हुए अच्छा करने को कहा. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खतौली में रहने वाले एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे ने जेईई एडवांस की परीक्षा पास की थी. छात्र को आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला मिला था. लेकिन तय समय में ऑनलाइन फीस जमा नहीं करने के कारण छात्र को दाखिला देने से संस्थान ने इंकार कर दिया. इसके खिलाफ छात्र ने अदालत में याचिका दाखिल की थी. 

 
दाखिले का आईआईटी ने किया विरोध

सुप्रीम कोर्ट में आईआईटी सीट आवंटन अथॉरिटी की ओर से पेश वकील ने छात्र के दाखिले का विरोध करते हुए कहा कि यह कहना गलत है कि कुछ मिनट की देरी के कारण दाखिला नहीं दिया जा रहा है. छात्र के लॉग इन डिटेल पर गौर करें तो दाखिले के लिए 3 बजे के बाद कोशिश की गयी. यही नहीं छात्र को मॉक इंटरव्यू के दौरान भी फीस तय समय पर जमा करने को कहा गया था. छात्र को एसएमएस और व्हाट्सएप के जरिये भी फीस जमा करने की कई बार जानकारी दी गयी. इस पर पीठ ने कहा कि इन बातों की बजाय अथॉरिटी को दाखिले के विकल्प पर गौर करना चाहिए.

न्यायाधीश पारदीवाला ने आईआईटी के वकील से कहा कि आप दाखिले का विरोध क्यों कर रहे हैं. आपको दाखिले के विकल्पों पर सोचना चाहिए. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि छात्र के पिता रोजाना 450 रुपये कमाते हैं और ऐसे में 17500 रुपये की रकम जमा करना बड़ी चुनौती थी. गांव वालों के सहयोग से पैसे का जुगाड़ किया गया. सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने दाखिले के लिए किसी तरह पैसे का जुगाड़ किया और ऐसे में एक प्रतिभाशाली छात्र को दाखिले से वंचित नहीं किया जा सकता है. 

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