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केंद्र के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर 10 जुलाई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष दिल्ली सरकार की ओर से पेश डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले का उल्लेख किया. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी में कहा कि इस मामले की सुनवाई अदालत के समक्ष लंबित इसी तरह के एक अन्य मामले के साथ की जा सकती है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली सरकार की चुनौती याचिका पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया है और वह 10 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करेगा. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई, 2023 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) की ओर से दायर याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में सेवारत सिविल सेवकों को नियंत्रित करने के लिए जीएनसीटीडी की शक्तियों को छीनने के लिए लाए गए अध्यादेश को चुनौती दी गई.

अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले का उल्लेख किया. सबसे पहले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस मामले की सुनवाई अदालत के समक्ष लंबित इसी तरह के एक अन्य मामले के साथ की जा सकती है. सीजेआई राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 की धारा 45डी की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका का जिक्र कर रहे थे. इस याचिका में पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट को नियुक्त करने के दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) के फैसले को भी चुनौती दी गई.

विशेषज्ञों की सेवा समाप्त करने से सरकार का घुंट जाएगा दम : केजरीवाल

उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को अपने एक बयान में कहा कि विशेषज्ञों और सलाहकारों की सेवा समाप्त करने का कदम दिल्ली सरकार और उसकी सेवाओं का पूरी तरह से दम घोंट देगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट इस कदम को खारिज कर देगा. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने विभिन्न विभागों में केजरीवाल सरकार की ओर से नियुक्त करीब 400 ‘विशेषज्ञों’ की सेवाओं को हाल में समाप्त कर दिया था. इसके बाद दिल्ली सेवा विभाग ने बुधवार को दिल्ली सरकार के तहत आने वाले सभी विभागों, बोर्ड, आयोगों और स्वायत्त निकायों को पत्र लिखकर उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लोगों की ‘फेलो’ और सलाहकार के रूप में नियुक्ति रोकने का निर्देश दिया है.

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विशेषज्ञों की बहाली में कथित अनियमितता पर एलजी ने उठाया कदम

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया कि यह कदम दिल्ली सरकार और उसकी सेवाओं का पूरी तरह से दम घोंट देगा. मैं नहीं जानता कि यह सब करके माननीय उपराज्यपाल को क्या हासिल होगा? मैं उम्मीद करता हूं कि माननीय सुप्रीम कोर्ट इसे तत्काल खारिज कर देगा. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भर्ती में कथित अनियमितताओं का हवाला देते हुए विभिन्न विभागों में अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा नियुक्त लगभग 400 ‘विशेषज्ञों’ की सेवाओं को समाप्त किया है.

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