अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में आज सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई होगी, इस मामले को लेकर 6 सदस्यीय कमिटी बनाई गई थी. कमिटी ने 8 मई को अपनी रिपोर्ट बंद लिफाफे में कोर्ट को सौंप दी है. अब ये देखना बाकी है कि कमिटी ने बंद लिफाफे में कोर्ट के समक्ष फाइनल रिपोर्ट सौंपी है या फिर जांच के लिए और समय मांगा है.
वहीं SEBI ने अदाणी के शेयरों हर-फेर की जांच के लिए 2 महीने का समय मांग था, मगर 29 अप्रैल को सेबी ने 6 महीने का और समय मांगा. सेबी का कहना है कि, इस पूरे प्रकरण की जांच में 15 महीने का समय लगेगा, मगर इसे 6 महीने खत्म करने का प्रयास किया जाएगा.
अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में कुल 4 जनहित याचिकाएं दायर की गईं थी. मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहली सुनवाई 10 फरवरी को हुई थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को 6 सदस्यीय कमिटी का गठन किया था. रिटायर्ड जज एएम सप्रे की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं.
इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच को लेकर कई निर्देश दिए थे जिसमें, सेबी के चेयरपर्सन को एक्सपर्ट कमेटी को सभी जरूरी जानकारी देनी होगी, केंद्र सरकार से जुड़े एजेंसियों को कमेटी के साथ सहयोग करना होगा, कमेटी अपने काम के लिए बाहरी विशेषज्ञों से परामर्श ले सकती है, कमेटी मेंबर्स का पेमेंट चेयरपर्सन तय करेंगे और केंद्र सरकार वहन करेगी, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक सीनियर ऑफिसर को नॉमिनेट करेंगी, ये कमेटी को लॉजिस्टिकल असिस्टेंस देने के लिए नोडल ऑफिसर के रूप में काम करेंगे और कमेटी के सभी खर्चों को केंद्र सरकार ही वहन करेगी.
आपको बताएं कि , 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी. रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे.. रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी. वहीं अदाणी ग्रुप के चेयरमेन गौतम अदाणी और प्रधानमंत्री के संबंधों को लेकर इस पूरे प्रकरण को मीडिया हाइलाइट मिली थी, साथ ही विपक्ष इस मामले को लेकर लगातार प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर है.
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