EVM के इस्तेमाल को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, कानून संसद से नहीं हुआ पारित
चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल को मंजूरी देने वाली याचिका पर सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस याचिका को सूचीबद्ध किया गया है.
Supreme Court, petition challenging use of EVM: देश में चुनावों को बैलेट पेपर की जगह ईवीएम के जरिए कराने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है. बुधवार यानी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस याचिका को सूचीबद्ध किया गया है. ये याचिका जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के एक प्रावधान जिसमें ईवीएम के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है के संवैधानिक वैधता को चुनौती देता है. इस याचिका को वकील एमएल शर्मा ने दायर किया है.
खबरों के अनुसार बुधवार को मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा की दलीलें सुनी, जिसके बाद सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध किया. याचिकाकर्ता ने अपने दलील में कहा है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 61A, के तहत चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल की अनुमति मिलती है. क्योंकि यह कानून संसद की तरफ से पारित नहीं हुआ है ऐसे में इसे लागू नहीं किया जा सकता है.
बता दें कि भारत में साल 1988 के दिसंबर में संसद ने कानून में संशोधन करते हुए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में सेक्शन 61ए को जोड़ा था. जिससे चुनाव आयोग को चुनाव में वोटिंग मशीन के इस्तेमाल की ताकत मिली. जिसके बाद 1989-90 के बीच ईवीएम का निर्माण किया गया जिसका इस्तेमाल नवंबर 1998 के विधानसभा चुनावों में किया गया. हालांकि इसमें ईवीएम का व्यापक इस्तेमाल नहीं हुआ था केवल मध्य प्रदेश के 5 विधानसभा क्षेत्रों, राजस्थान के 6 और दिल्ली के 6 विधानसभा क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल किया गया था.
हालांकि अगर आपको लग रहा है कि 1998 में ईवीएम का इस्तेमाल पहली बार हुआ था तो ऐसा नहीं है मई 1982 में भारत में पहली बार ईवीएम से मतदान कराए गए थे. इसका इस्तेमाल केरल के परावुर विधानसभा के करीब 50 मतदान केंद्रों में हुआ था. हालांकि उस समय इसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे थे.