सुप्रीम कोर्ट का फैसला – सभी प्राइवेट अल्‍पसंख्‍यक कॉलेजों में नीट के जरिए ही होगा एडमिशन

सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला देते हुए कहा कि एमबीबीएस और बीडीएस व पोस्‍ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन लेने के लिए राष्‍ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक व्यावसायिक कॉलेजों पर लागू होगी.इन कॉलेजों में अब एडमिशन के लिए नीट की परीक्षा पास करना जरूरी होगा.

By Mohan Singh | April 29, 2020 5:30 PM
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नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला देते हुए कहा कि एमबीबीएस और बीडीएस व पोस्‍ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन लेने के लिए राष्‍ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक व्यावसायिक कॉलेजों पर लागू होगी.इन कॉलेजों में अब एडमिशन के लिए नीट की परीक्षा पास करना जरूरी होगा.

फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नीट की वजह से अल्‍पसंख्‍यकों को संविधान से मिले अधिकारों का हनन नहीं होता है.बता दें, सुप्रीम कोर्ट में निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक कॉलेजों ने याचिका दाखिल कर कहा था कि नीट धार्मिक स्वातंत्रता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है.

जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अल्पसंख्यक गैर सहायता प्राप्त संस्थानों में नीट लागू करने से अल्पसंख्यक समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता, जिसमें शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन का अधिकार दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीट का उद्देश्य सिस्टम में होने वाली बुरायी और कुप्रथा को खतम करना है.नीट के बारे में बताते हुए कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि यह इस बात को सुनिश्चित करने के लिए है कि शिक्षा का मानक बना रहे और प्रबंधन के विशेष अधिकार की आड़ में कुप्रबंधन न हो.

बता दें, मेडिकल से जुड़े कोर्स में प्रवेश के लिए नीट यानी राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा अनिवार्य है.2016 से पहले मेडिकल कोर्ट के लिए AIPMT यानि All India Pre Medical Test देना होता था, जिसके माध्यम से मेडिकल के छात्रों को एमबीबीएस, बीडीएस, एमस जैसे पाठ्यक्रम में प्रवेश मिलता था. 2016 के बाद रास्ट्रीय स्तर पर सिर्फ एक परीक्षा का आयोजन होने लगा है. इसके जरिए ही सभी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है

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