राजीव गांधी के हत्यारों के मर्सी पिटिशन को खारिज करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज फातिमा बीवी का निधन
फातिमा बीवी ने 1943 में पथानमथिट्टा के कैथोलिकेट हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी. बाद में वह अपनी उच्च शिक्षा के लिए त्रिवेंद्रम चली गईं थीं. उसके बाद उन्होंने तिरुवनंतपुरम के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की.
सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज होने का गौरव प्राप्त करने वाली फातिमा बीवी का निधन हो गया है. फातिमा बीवी 96 वर्ष की थीं. उनका जन्म 30 अप्रैल 1927 को वर्तमान केरल राज्य में हुआ था. सुप्रीम कोर्ट की जज के रूप में उन्होंने एक बेहतरीन पारी खेली उसके बाद वे तमिलनाडु की राज्यपाल भी बनाई गई थीं. 25 जनवरी 1997 को उन्हें तमिलनाडु का राज्यपाल बनाया गया था.
राजीव गांधी के हत्यारों की दया याचिका की थी खारिज
तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में उन्होंने कई बड़े निर्णय लिए जिनमें से सर्वप्रमुख है पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में चार दोषियों द्वारा दायर दया याचिकाओं को खारिज करना. फातिमा बीवी ने 1943 में पथानमथिट्टा के कैथोलिकेट हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी. बाद में वह अपनी उच्च शिक्षा के लिए त्रिवेंद्रम चली गईं थीं. उसके बाद उन्होंने तिरुवनंतपुरम के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया की परीक्षा में किया था टॉप
फातिमा बीवी जब लॉ की पढ़ाई कर रहीं थीं तो उनकी कक्षा में केवल पांच महिला छात्रा थीं. फातिमा बीवी ने 1950 में कानून की डिग्री प्राप्त की उसके बाद उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया की परीक्षा दी और परीक्षा में टॉप करने वाली पहली महिला बनीं. फातिमा बीवी विज्ञान की पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन उनके पिता देश की पहली महिला जज अन्ना चांडी से बहुत प्रभावित थे, जो हाईकोर्ट की पहली महिला जज बनीं थीं. अपने पिता की वजह से ही फातिमा बीवी ने कानून की पढ़ाई की और इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया.
1989 में सर्वोच्च न्यायालय की जज बनीं
फातिमा बीवी ने 1950 को केरल की निचली न्यायपालिका में अपना करियर शुरू किया. आठ साल के बाद उन्होंने केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवाओं में मुंसिफ की नौकरी की. उसके बाद वे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट , जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनीं. 1983 में फातिमा बीवी केरल उच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनीं. 1986 में फातिमा बीवी केरल हाईकोर्ट से रिटायर्ड हुईं और फिर 1989में सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त की गईं. फातिमा बीवी ने पुरुष प्रधान न्यायपालिका में महिलाओं के लिए करियर बनाने का दरवाजा खोलने का काम किया था.