लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस को जोरदार झटका, गांधी परिवार के करीबी सुरेश पचौरी बीजेपी में शामिल

Suresh Pachouri ने शनिवार सुबह बीजेपी का दामन थाम लिया है. लोकसभा चुनाव के पहले मध्य प्रदेश में कांग्रेस को जोरदार झटका लगा है.

By Amitabh Kumar | March 9, 2024 12:09 PM

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को जोरदार झटका लगा है. यहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. उनके साथ पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी भी बीजेपी में शामिल हो गये हैं. प्रदेश में देश की सबसे पुरानी पार्टी को ये झटका राहुल गांधी की भारत जोड़ों न्याय यात्रा के गुजरने के बाद लगा है. बीजेपी के प्रदेश इकाई के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल की ओर से उक्त जानकारी दी गई है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी की बात करें तो उन्हें गांधी परिवार का करीबी बताया जाता है. पचौरी केंद्रीय रक्षा उत्पादन राज्य मंत्री के पद पर भी रह चुके हैं. वे कांग्रेस के चार बार राज्यसभा सदस्य भी रहे. वहीं प्रमुख आदिवासी नेता राजूखेड़ी तीन बार कांग्रेस के टिकट पर धार (अनुसूचित जनजाति) सीट से सांसद पहुंचे हैं.

Suresh pachouri joins bjp

क्या कहा सुरेश पचौरी

बीजेपी में शामिल होने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस उन सिद्धांतों और नीतियों से अलग हो चुकी है जिसके लिए वह पहले जानी जाती थी. उसने खुद को जनता से अलग कर लिया है और रिश्ता कायम करने में सफल नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा कि जब मैं राजनीति में आया तो मैंने समाज और देश की सेवा करने का फैसला किया था. कांग्रेस वर्गविहीन समाज की स्थापना करना चाहती थी, लेकिन आज यह हाशिए पर पहुंच चुकी है.

कैलाश विजयवर्गीय ने क्या कहा

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी समेत कई कांग्रेस नेताओं के बीजेपी में शामिल होने पर राज्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि बड़ी संख्या में और लोग बीजेपी का दामन थामेंगे. वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जब पचौरी से पूछा गया कि वे बीजेपी में क्यों शामिल होना चाहते हैं…क्या उनकी कुछ शर्तें हैं तो उन्होंने कहा कि मेरी कोई शर्त नहीं, मैं प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश की सेवा करने की इच्छा रखता हूं. यहीं वजह है कि मैंने बीजेपी का दामन थामा है. कांग्रेस अप्रासंगिक हो गई है. उनके पास न तो नीति है, न नेतृत्व और न ही नियत.

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