देश में असुरक्षित बच्चे, 30% होते हैं सड़क दुर्घटना के शिकार, स्कूल प्रबंधन नहीं देता सुरक्षा मामलों पर ध्यान
इस सर्वे का उद्देश्य स्कूल जाने के दौरान बच्चों की सड़क सुरक्षा में सुधार करना और वर्तमान में जो व्यवस्थाएं हैं उनके बारे में जानकारी लेना था. इस सर्वे में विभिन्न आयु-वर्ग और भौगोलिक क्षेत्रों से जानकारी प्राप्त की गयी है.
देश में करीब 30 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाते समय सड़क दुर्घटना के शिकार हुए, जबकि उनमें से छह प्रतिशत ऐसी दुर्घटनाओं की चपेट में आये. यह खुलासा है सेवलाइफ फाउंडेशन और मर्सिडीज-बेंज रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंडिया (एमबीआरडीआई) के सहयोग से आयोजित एक सर्वे का.
पीटीआई न्यूज के अनुसार इस सर्वे का उद्देश्य स्कूल जाने के दौरान बच्चों की सड़क सुरक्षा में सुधार करना और वर्तमान में जो व्यवस्थाएं हैं उनके बारे में जानकारी लेना था. इस सर्वे में विभिन्न आयु-वर्ग और भौगोलिक क्षेत्रों से जानकारी प्राप्त की गयी है.
कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद किए गए सर्वेक्षण में भारत के 14 शहरों में 5,711 बच्चे (कक्षा 6-12 के) और 6,134 माता-पिता (कक्षा 1-12 के बच्चों के साथ) सहित 11,845 लोगों की प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण इस सर्वे में किया गया है.
सर्वेक्षण में शामिल आधे से अधिक अभिभावकों ने कहा कि स्कूल अधिकारी उन्हें सूचित की गयी सुरक्षा चिंताओं पर कोई कार्रवाई नहीं करते. इनमें अहम है स्कूली वाहनों में भीड़, स्कूल के पास भीड़भाड़ और स्कूल क्षेत्र में चालकों द्वारा तेज गति से वाहन चलाना शामिल हैं.
यह सर्वे अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, चेन्नई, दिल्ली, जयपुर, जमशेदपुर, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पटना, पुणे और विजयवाड़ा में आयोजित किया गया था. लगभग 47 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि उनके वाहनों में सीट बेल्ट नहीं थे. बेंगलुरू (78 फीसदी) और लखनऊ (66 फीसदी) में सीट बेल्ट युक्त स्कूली वाहनों का अनुपात अधिक था.
विजयवाड़ा में केवल 13 प्रतिशत प्रतिभागियों और कोलकाता में 28 प्रतिशत ने बताया कि उनके वाहन में सीट बेल्ट थे. सर्वेक्षण ने स्कूल क्षेत्रों के पास सुरक्षा मानकों में कमियों को भी उजागर किया. देश में 18 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या 50 करोड़ से अधिक है.