विशाखापत्तनम : हमें लगा कि सभी मर जायेंगे. पता नहीं कैसे बच गये. यह कहना है विशाखापत्तनम में गैस रिसाव के बाद बचे लोगों का. यहां ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें उम्मीद नहीं थी कि वे बच पायेंगे. किंग जॉर्ज अस्पताल (केजीएच) में इलाज करवा रही एक महिला ने कहा, चारों तरफ तबाही का मंजर था. लोग खुद को बचाने के लिए बदहवास होकर इधर-उधर भाग रहे थे. किसी को नहीं पता था कि क्या हो रहा है? सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. इससे वह और उसके बच्चे जग गये थे. किसी को कुछ सूझ ही नहीं रहा था. उसने लोगों को भागते हुए देखा, तो वह भी बच्चों के साथ भागी. भगदड़ में उसके दोनों बच्चे बिछड़ गये. वे बेहोश हो गये थे. बाद में उसने खुद को बच्चों के साथ अस्पताल में पाया.
सड़कों पर बेहोश पड़े थे लोग, कई जानवरों की भी मौत : गोपालपट्टनम सर्किल के इंस्पेक्टर रामान्या ने बताया कि चारों तरफ अफरा-तफरी मची थी. कोई नाले में गिरा, तो कोई सड़क पर ही गिर पड़ा. रामान्या ने बताया कि उसने करीब 50 लोगों को सड़क पर बेहोश पड़ा हुआ देखा. कई गायों, कुत्तों और दूसरे जानवरों की भी मौत हो गयी. जो भी गैस के संपर्क में आया, उसे कुछ ही मिनटों में बेहोशी आ गयी. कम-से-कम दो लोगों की मौत तो नहर में गिरने से हो गयी, जबकि एक व्यक्ति जान बचाने के लिए अंधेरे में भागते समय खुले कुएं में गिर गया.
शरीर पर आने लगे थे चकत्ते, होने लगी थीं उल्टियां : एक अन्य व्यक्ति ने कहा, तड़के उनके परिवार ने सफेद धुआं उठते देखा. तीखी गंध भी महसूस हुई. फिर सांस लेने में तकलीफ होने लगी. घबराहट भी हो रही थी. शरीर पर चकत्ते आने लगे थे. आंखों से पानी आने लगा था. पलकें झपकने और खोलने तक में दिक्कत होने लगी थी. उल्टी शुरू हो गयी. हमें नहीं पता कि उसके बाद क्या हुआ. बाद में हमने खुद को अस्पताल में पाया.
जान बचा कर भागे, लेकिन लॉकडाउन में कहां जाते : एक अन्य शख्स ने बताया कि सुबह के साढ़े तीन बजे पूरा परिवार गहरी नींद में था. तभी किसी ने दरवाजे को जोरों से खटखटाया और भागने को कहा. लोग चिल्ला रहे थे कि परिवार के साथ यहां से निकलो. सभी अपना सामान छोड़ भागे. कई महिलाएं नाइटी पहने ही दौड़ रही थीं. सड़क पर इतनी भीड़ थी कि बाइक चलाना मुश्किल हो रहा था. भागते-भागते लोग विशाखापट्टनम में समुद्रतट तक पहुंच गये. यहां पर लोग सोच में पड़ गये कि कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन को देखते हुए कहां जाएं?