नयी दिल्ली : अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के द्वारा आत्महत्या कर लेने के बाद पूरे देश में मानसिक तनाव और डिप्रेशन को लेकर बहस छिड़ गई है. लोग डिप्रेषन को लेकर कई तरह के बयान दे रहे हैं. इसी बीच अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मानसिक तनाव पर सरकार से सवाल पूछा है. कोर्ट ने कहा है कि मानसिक रोगियों को सरकार बीमा की सुविधा क्यों नहीं दे रही है ? बता दें कि 2017 में मानसिक रोगियों के लिए सरकारने बीमा की सुविधा शुरू की थी.
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कंपनियो की निगरानी करने वाली संस्था आईआरडीएआई से पूछा है कि अभी तक मानसिक रोगियों के लिए बीामा की सुविधा अब तक क्यों शुरू की गई है. बता दें कि कोर्ट आज एक जनहित मुद्दो वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस बीआर गवई की बैंच ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है. एडवोकेट गौरव बंसल द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि 2017 में सरकार मानसिक रोगियों को बीमा कराने का प्रस्ताव पास कर चुकी है, लेकिन अबतक देश में रोगियों को बीमा की सुविधा नहीं दी जा रही है, जिसके बाद कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.
सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 लागू होने के बाद कहा लथा कि देश भर में मानसिक रोगियों को भी बीमा का लाभ दिया जायेगा. इस अधिनियम के मुताबिक मानसिक रोगी को शारीरिक बीमारी से प्रभावित मरीजों के सामान ही माना जायेगा.
1 लाख से अधिक ने कराया था बीमा– समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार 2019 तक सार्वजनिक क्षेत्र की चार बीमा कंपनियों ने पिछले एक साल के दौरान एक लाख लोगों को मानसिक रोग से संबंधित बीमा कवर उपलब्ध कराया है.
इस कानून के तहत प्रावधान है कि सभी बीमा कंपनियों को मानसिक बीमारी के इलाज के लिए अन्य बीमारियों की तरह ही चिकित्सा बीमा उपलब्ध कराना होगा. अन्य बीमारियों में जिस आधार पर बीमा कवर उपलब्ध कराया जाता है, मानसिक रोग भी उसी आधार पर कवर उपलब्ध कराना होगा.
Posted By : Avinish Kumar Mishra