12 सांसदों के निलंबन को लेकर विपक्ष की आज बड़ी बैठक, सत्र का कर सकते हैं बहिष्कार
कृषि कानून निरसन विधेयक पारित होने के बाद उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के विरोध के बीच सदन ने मंजूरी दे दी.
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए, चालू सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया. कृषि कानून निरसन विधेयक पारित होने के बाद उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के विरोध के बीच सदन ने मंजूरी दे दी.
बाद में जोशी ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिख कर कहा कि इन 12 सदस्यों को ऐसी सजा मिले, जो मिसाल बने और लोगों को आइंदा ऐसा करने से रोके. इधर, 12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन की विपक्ष ने निंदा की है. विपक्ष ने इसे तानाशाही फैसला करार दिया है. साथ ही आगे की रणनीति के लिए विपक्ष ने आज यानी मंगलवार को बैठक कर रहा है.
सबसे बड़ी कार्रवाई: एक साथ 12 सदस्यों का निलंबन राज्यसभा के इतिहास में ऐसी सबसे बड़ी कार्रवाई है. इससे पहले 2020 में आठ सांसद निलंबित किये गये थे. 2010 में सात सदस्यों को निलंबित किया गया था.
इनका निलंबन: माकपा के इलामारम करीम, कांग्रेस के रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन व शांता छेत्री, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी व अनिल देसाई, भाकपा के विनय विस्वम.
बता दें, तीनों कृषि कानूनों की वापसी के विधेयक को सदन ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई. जबकि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य विधेयक पर चर्चा की मांग कर रहे थे. बिना चर्चा के विधेयक को मंजूरी दिये जाने पर विरोध जताते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया. जिसके बाद राज्यसभा से 12 विपक्षी सदस्य तो शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया.
Posted by: Pitish Sahay