वाशिंगटन : अंतरिक्ष एजेन्सी ‘नासा’ का अंतरिक्ष यान मंगल पर उतरा. नासा के मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं की तलाश करने के लिए भेजे गये अंतरिक्ष यान परियोजना का नेतृत्व भारतीय-अमेरिकी मूल की वैज्ञानिक डॉ स्वाति मोहन ने किया है.
"The spacecraft @NASAPersevere is currently transmitting heartbeat tones — these tones indicate that Perseverance is operating normally."
Swati Mohan, @NASAJPL engineer on the rover's landing team, provides a status update on the #CountdownToMars: pic.twitter.com/D1Tx9BEYld
— NASA (@NASA) February 18, 2021
नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के इंजीनियरों ने बताया है कि मार्स-2020 पर्सेवरेंस मिशन 18 फरवरी को दोपहर 03:55 बजे जेजेरो क्रेटर पर पहुंच गया. नासा के सबसे महत्वाकांक्षी मंगल रोवर मिशन पर्सेवरेंस ने मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक लैंड कर इतिहास रच दिया है.
बताया जाता है कि रोवर के जरिये यह पता लगाया जायेगा कि मंगल ग्रह पर ब्रह्मांड में कहीं और जीवन है या नहीं? क्या जीवन कभी-भी, कहीं भी अनुकूल परिस्थितियों की देन होती है? साथ ही अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं.
स्वाति मोहन का जन्म भारतीय कन्नड दंपति के घर हुआ था. वह एक वर्ष की आयु में ही अमेरिका चली गयी थी. उनका पालन-पोषण उत्तरी वर्जीनिया, वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में हुआ. उन्होंने मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से बीएस और एरोनॉटिक्स, एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी और पीएचडी की.
स्वाति मोहन ने कई मिशनों पर काम किया है. कैसिनी (मिशन टू सैटर्न) और जीआरआईआईएल (मिशन मून) के लिए उन्होंने काम किया है. इसके बाद साल 2013 में परियोजना की शुरुआत के बाद से ही वह मिशन मंगल-2020 पर काम कर रही है. वह वर्तमान में स्वाति मोहन पासाडेना, सीए में नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में मंगल-2020 का मार्गदर्शन करने के साथ नेविगेशन और नियंत्रण संचालन को लीड कर रही है.
स्वाति मोहन ने एक इंटरव्यू में बताया है कि जब वह छोटी लड़की थी, उसी समय टीवी धारावाहिक ”स्टार ट्रेक: द नेक्स्ट जनरेशन” देखती थी. इस धारावाहिक ने काफी प्रभावित किया. इस धारावाहिक को देखने के बाद अंतरिक्ष यात्रा और अंतरिक्ष अन्वेषण की उत्सुकता पैदा हुई. स्कूल में भौतिकी का पहला अध्ययन किया. बाद में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन मेरी स्वाभाविक पसंद बन गया.
अंतरिक्ष की परियोजनाओं में भारत का प्रदर्शन अद्वितीय है. वाहन, उपग्रह के साथ-साथ चंद्र और मंगल अन्वेषण मिशन भी बेहतर है. नासा और इसरो कई कार्यक्रमों में एक-दूसरे को सहयोग कर रही हैं. इनमें नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार परियोजना शामिल है.