Loading election data...

SPG Act बनाते समय टीएन शेषन ने दी थी राजीव गांधी को एक खास सलाह, अब जाकर हुआ खुलासा

SPG Act बनाते समय टीएन शेषन ने एक खास सलाह दी थी जिसका खुलासा अब जाकर हुआ. रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक “थ्रू द ब्रोकन ग्लास (Through the Broken Glass)” में जानें क्या लिखा गया है.

By Amitabh Kumar | June 9, 2023 2:42 PM

1988-89 में विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) अधिनियम का मसौदा तैयार करते समय एक ऐसा वाकया हुआ जिसकी चर्चा आज हो रही है. दरअसल, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने अपनी पुस्तक में एसपीजी का जिक्र किया है और इस संबंध में कई खुलासे किये हैं. टीएन शेषन ने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है कि 1988-89 में विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) अधिनियम (ACT) का मसौदा तैयार करते वक्त उन्होंने एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया था.

शेषन की सलाह को राजीव गांधी ने किया था खारिज

भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों को सुरक्षा प्राप्त करने वालों की श्रेणी में शामिल करने की सलाह दी थी, लेकिन इस सलाह को उन्होंने खारिज कर दिया था ताकि उन पर यह आरोप न लगे कि वे अपनी निजी फायदे के लिए ऐसा कर रहे हैं. पूर्व चुनाव आयुक्त शेषन की आत्मकथा में इस बात का उल्लेख किया गया है जिसकी चर्चा हो रही है.

शेषन ने अपनी किताब में क्या लिखा

रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक “थ्रू द ब्रोकन ग्लास (Through the Broken Glass)” में भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने कई बातों का जिक्र किया है. उन्होंने राजीव गांधी को पद छोड़ने के बाद भी संभावित जोखिमों के बारे में चेतावनी दी थी. साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका का उदाहरण दिया था, जहां एफबीआई के द्वारा पूर्व राष्ट्रपतियों के परिवारों को सुरक्षा प्रदान करने का कानून है. शेषन ने अपनी किताब में लिखा कि मैंने तर्क दिया चुनाव हारने के बाद भी राजीव और उनके परिवार को सुरक्षा की तत्काल जरूरत होगी, लेकिन राजीव गांधी ने उनके इस तर्क पर सहमति नहीं जतायी. उन्होंने सोचा कि लोग भरोसा करेंगे कि वो निजी हित के लिए ऐसा कर रहे हैं.

वीपी सिंह सरकार की सरकार में क्या हुआ

टीएन शेषन ने यह भी खुलासा किया कि वीपी सिंह सरकार के कैबिनेट सचिव के रूप में उन्होंने राजीव गांधी की सुरक्षा बनाये रखने की वकालत की थी, लेकिन सरकार की ओर से उनकी बात नहीं मानी गयी. सिंह के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन बाद 3 दिसंबर, 1989 को शेषन की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गयी थी, जिसमें ‘राजीव को पांच सुरक्षा जारी रखी जाए या नहीं’ पर चर्चा की गयी थी. इस बैठक में, शेषन ने तर्क दिया था कि पूर्व पीएम राजीव गांधी के लिए सुरक्षा खतरा अभी भी कम नहीं हुआ है.

Next Article

Exit mobile version