Tahawwur Rana Extradition: अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. अदालत ने राणा की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने निचली अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग की थी. राणा ने दोहरे खतरे के सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा था कि उसे एक ही अपराध के लिए दो बार दंडित नहीं किया जा सकता. हालांकि, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को नकारते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी.
यह फैसला 21 जनवरी को सुनाया गया. राणा के प्रत्यर्पण के खिलाफ यह उसका आखिरी कानूनी प्रयास था, जिसमें वह विफल हो गया. राणा के वकील जोशुआ एल ड्रेटल ने अमेरिकी सरकार की सिफारिश को चुनौती देते हुए कोर्ट से अपील की थी कि उसकी याचिका को स्वीकार किया जाए. मगर, अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी प्रीलोगर ने सुप्रीम कोर्ट से इस याचिका को खारिज करने की सिफारिश की थी. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है.
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तहव्वुर राणा इस समय लॉस एंजिल्स की जेल में बंद है. भारत सरकार उसे 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मामले में लंबे समय से वांटेड मानती है. वह पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी है, जो 26/11 हमलों की साजिश में शामिल मुख्य अभियुक्तों में से एक है.
राणा ने अमेरिकी संघीय अदालतों में इस प्रत्यर्पण के खिलाफ कई बार कानूनी लड़ाई लड़ी थी, लेकिन उसे हर बार असफलता मिली. सैन फ्रांसिस्को में उत्तरी सर्किट कोर्ट में भी उसकी अपील खारिज हो गई थी. इसके बाद उसने 13 नवंबर को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जो अब खारिज कर दी गई है.
तहव्वुर राणा कनाडा का नागरिक है, लेकिन उसका जन्म पाकिस्तान में हुआ था. भारत सरकार उसे 26/11 हमलों की साजिश का हिस्सा मानती है. इस हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी और यह भारत के इतिहास के सबसे भयानक आतंकी हमलों में से एक था. भारत ने अमेरिका से उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी, जिसे अब मंजूरी मिल चुकी है. राणा के प्रत्यर्पण से 26/11 हमलों की साजिश से जुड़े कई और रहस्यों पर से पर्दा उठने की संभावना है.
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