लखनऊ : ताजमहल एक बार फिर घने कोहरे की वजह से प्रदूषण की चपेट में आ गया है. ताजनगरी आगरा की हवा में जहर घुला है. प्रदूषण का स्तर दिल्ली, नोएडा और फरीदाबाद जैसे शहरों को भी मात दे रहा है. धूल कणों से हवा दूषित हो रही है. ताजनगरी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 283 से ऊपर पहुंच गया है, जो देश के कई औद्योगिक शहरों से भी अधिक है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की रिपोर्ट के अनुसार, आगरा का प्रदूषण स्तर करनाल और भिंवडी से भी अधिक है.
कचरा जलाए जाने से भी बढ़ा प्रदूषण
आईआईटी कानपुर के शोध से यह तथ्य सामने आया है कि प्रदूषण बढ़ाने में धूल कणों का योगदान 35 फीसदी है. वाहनों के टायरों से उड़ती धूल और ईंधन से निकलता धुआं प्रदूषण के लिए 13 फीसदी जिम्मेदार है. कचरा जलाए जाने के कारण 10 फीसदी प्रदूषण बढ़ा है. अगर यह स्थिति कायम रही, तो ताजमहल सुंदरता एक बार फिर खराब हो सकती है.
पर्यावरण विभाग प्रदूषण घटाने को लागू करेगा प्लान
पर्यावरण विभाग ने ताजनगरी में प्रदूषण का स्तर घटाने की कार्ययोजना तैयार किया है. सूत्रों के अनुसार, 15 अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को लागू करने के लिए कहा है. हर सप्ताह इसकी समीक्षा की जाएगी. ट्रैफिक जाम, कंस्ट्रक्शन, रोड डस्ट, उद्योग और कचरा जलाने की गतिविधियों पर रोक के लिए कदम उठाए जाएंगे.
सड़कों की होगी धुलाई
सरकार ने आगरा नगर निगम से रात को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के ट्रीटेड पानी का उपयोग करते हुए सड़कों की धुलाई कराने को कहा है. इससे सड़कों पर धूल कम हो सकेगी. मैकेनिकल सफाई पर जोर दिया जाएगा और सड़कों के किनारे रखी निर्माण सामग्री को ढ़कने की व्यवस्था होगी. भवन निर्माण सामग्री खुले में ले जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाएगा. सड़कों पर खुदाई चलने पर डस्ट लोड का आकलन कर रात में धुलाई के साथ वैक्यूम क्लीनिंग भी कराई जाएगी. ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) अथॉरिटी के सदस्य उमेश शर्मा ने कहा कि सड़कों की खुदाई के कारण पहले ही प्रदूषण बढ़ गया है.
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Posted By : Vishwat Sen