NSAs Meet on Afghanistan काबुल पर तालिबान के कब्जे के दो महीने बाद भारत अफगानिस्तान के भविष्य पर क्षेत्रीय शक्तियों को शामिल करने की योजना बना रहा है. भारत 20 अक्टूबर को मास्को वार्ता प्रक्रिया में भाग लेने के लिए एक आधिकारिक टीम भेज रहा है, जिसमें तालिबान सरकार के उपप्रधानमंत्री शामिल होंगे. भारत ने क्षेत्रीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों को नवंबर में एक बैठक के लिए दिल्ली आमंत्रित किया है, जिसमें पाकिस्तान के एनएसए मोईद यूसुफ भी शामिल हैं.
द हिंदू की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक के लिए ईरान समेत छह राष्ट्र क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में भाग लेंगे. इसके लिए तेहरान, ईरान, रूस, चीन, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान तक पहुंच बना ली गई है. वहीं, एक पाकिस्तानी अधिकारी ने निमंत्रण मिलने की पुष्टि की है, लेकिन कहा कि भागीदारी पर निर्णय लिया जाना बाकी है.
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तान के पब्बी में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ-आरएटीएस) की क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी तंत्र बैठक में तीन सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल के भाग लेने के कुछ हफ्तों बाद बहुपक्षीय प्रारूप बैठक के लिए पाकिस्तान को निमंत्रण दिया गया. वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दिसंबर के शुरुआत में संसद की लोक लेखा समिति के निर्माण के शताब्दी समारोह के लिए राष्ट्रमंडल देशों के संसदीय नेताओं के निमंत्रण में पाकिस्तान के सीनेट अध्यक्ष को शामिल किया. कई पुष्ट रिपोर्टों के अनुसार, जिनका सरकार ने खंडन नहीं किया है. अजित डोभाल ने पिछले एक साल में पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैक-चैनल परामर्श की एक श्रृंखला का नेतृत्व किया है.
वहीं, एक वरिष्ठ अधिकारी ने द हिंदू को बताया कि पाकिस्तान को निमंत्रण अफगानिस्तान के घटनाक्रम से उत्पन्न आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा की आवश्यकता एवं उस देश के अंदर हिंसक हमलों में वृद्धि के बीच आता है, जिसमें कुंदुज और कंधार में मस्जिदों में दो आत्मघाती बम विस्फोट शामिल हैं. इसके अलावा, भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि तालिबान सरकार की मान्यता का मुद्दा, जिसके लिए पाकिस्तान दबाव बना रहा है, तालिबान सरकार द्वारा आतंकवाद, सरकार में समावेशिता और महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर आश्वासन देने के बाद ही तय किया जाए.
भारत की पहल, जो मॉस्को के साथ घनिष्ठ परामर्श के बाद आती है. महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब तक, सरकार ने अफगानिस्तान के लिए किसी भी मौद्रिक या खाद्य सहायता की घोषणा नहीं की है. तालिबान के अधिग्रहण के बाद से न ही इसने अफगान शरणार्थियों के लिए भारत के दरवाजे खोले हैं. हालांकि, 12 अक्टूबर को जी-20 सम्मेलन में बोलते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता के लिए एक मजबूत पिच बनाई. प्रधानमंत्री ने कहा कि हर भारतीय भूख और कुपोषण का सामना कर रहे अफगान लोगों का दर्द महसूस करता है. उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आवश्यकता पर जोर दिया कि अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के लिए तत्काल और अबाधित पहुंच प्राप्त हो.
इन सबके बीच एमईएम ने पुष्टि की है कि भारत बुधवार को मास्को प्रारूप सम्मेलन में एक वरिष्ठ अधिकारी को भेजेगा. जिसमें अफगानिस्तान, भारत, ईरान, चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल शामिल हैं. तालिबान के अधिकारियों ने घोषणा की है कि उपप्रधान मंत्री अब्दुल सलाम हनफी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल बैठक में भाग लेगा. 15 अगस्त को काबुल के पतन के बाद, मास्को बैठक पहली बार होगी, जब भारत एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए एक अधिकारी भेज रहा है. जिसमें तालिबान भी शामिल है. इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर, कथित तौर पर अफगानिस्तान की ओर से एक तालिबान प्रतिनिधि को बैठक में भाग लेने की अनुमति देने की पाकिस्तान की मांग पर भारत की आपत्तियों के कारण स्थगित कर दिया गया था.
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