Teachers Day 2020: देश के 5 ऐसे शिक्षक जिसने भारत के युवाओं की सोच बदल दी
Teachers Day 2020: भारत में गुरु-शिष्य परंपरा काफी अरसे से चली आ रही है. अगर बात करें अंग्रेजों के जमाने की तो उस वक्त मॉडर्न स्कूली व्यवस्था नहीं थी, कह सकते हैं कि देश में गुरु-शिष्य संबंध आश्रम व्यवस्था में ज़िंदा थे. बहरहाल, व्यवस्था चाहे नई हो या पुरानी - भारत में हमेशा महान शिक्षक हुए हैं. शिक्षक दिवस के मौके पर हम आपको कुछ महान भारतीय शिक्षकों के बारे में बताने जा रहे हैं; जिन्होंने अपने कार्य से न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया को आज भी राह दिखा रहे हैं उनके काम और योगदान की जानकारी दे रहे हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन भारतीय शिक्षकों की प्रतिभा कैसे पूरी दुनिया में बहुत आगे थी.
भारत में गुरु-शिष्य परंपरा काफी अरसे से चली आ रही है. अगर बात करें अंग्रेजों के जमाने की तो उस वक्त मॉडर्न स्कूली व्यवस्था नहीं थी, कह सकते हैं कि देश में गुरु-शिष्य संबंध आश्रम व्यवस्था में ज़िंदा थे. बहरहाल, व्यवस्था चाहे नई हो या पुरानी – भारत में हमेशा महान शिक्षक हुए हैं. शिक्षक दिवस के मौके पर हम आपको कुछ महान भारतीय शिक्षकों के बारे में बताने जा रहे हैं; जिन्होंने अपने कार्य से न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया को आज भी राह दिखा रहे हैं उनके काम और योगदान की जानकारी दे रहे हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन भारतीय शिक्षकों की प्रतिभा कैसे पूरी दुनिया में बहुत आगे थी.
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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
भारत के मशहूर शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन पांच सितंबर को हुआ था. उन्हीं के नाम पर ये दिन मनाया जाता है. वो देश के पहले उपराष्ट्रपति भी थे. मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में अध्ययन करते हुए राधाकृष्णन ने पैसे की कमी के चलते पसंद के बजाय संयोग से दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया था. फिर बाद में वो मैसूर विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर बन गए, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में कलकत्ता विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया और यहां तक कि तुलनात्मक धर्म पर ऑक्सफोर्ड में व्याख्यान भी दिया.
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द्रोणाचार्य
द्रोणाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरु थे. द्रोणाचार्य का नाम भारत की पौराणिक गाथाओं में बड़े आदर के साथ लिया जाता है. मैं बात कर रही हूँ महाभारत में कुरुवंश के राजकुमारों को शिक्षा देने वाले, अर्जुन को अपना सबसे प्रिय शिष्य बताने वाले, उसे महान धनुर्धर बनाने की अधर्म पूर्ण प्रतिज्ञा लेने वाले गुरु द्रोणाचार्य की. ऐसे गुरु द्रोणाचार्य की जिन्होंने एकलव्य और कर्ण जैसे पराक्रमी योद्धाओं को उनका सही स्थान नहीं मिलने दिया, जो अर्जुन से कई गुना अधिक प्रतिभाशाली और सामर्थ्यवान थे.
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आनंद कुमार:
आनंद कुमार ने सुपर 30 की स्पाथना की है। आइआइटी-जेईई एंट्रेंस एग्जाम के लिए 30 वंचित छात्रों को फ्री में क्लास देते हैं। आनंद 350 से ज्यादा स्टूडेंट को आइआइटी के तक पहुंचा चुके हैं. साल 2019 में आनंद कुमार को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए भगवान महावीर फाउण्डेशन की ओर से महावीर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.
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सावित्रीबाई फुले
अगर आज लड़कियां गर्व से स्कूलों में जाती हैं तो इसके पीछे सावित्रीबाई फुले जैसे टीचर्स का दृढ़ संकल्प शामिल है. फुले ने अपने पति के साथ मिलकर 1948 में पुणे के ब्राह्मण बहुल शहर में तमाम बाधाओं के बावजूद लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला था. समाज के लिए उनके महान कदम के बावजूद उन्हें समाज से सहयोग नहीं मिल रहा था. इसके बाद फुले ने लड़कियों के लिए कई स्कूल खोले और विधवा पुनर्विवाह और दूसरों के बीच अस्पृश्यता जैसे मुद्दों से निपटने की दिशा में भी काम किया.
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एपीजे अब्दुल कलाम:
अब्दुल कलाम प्रसिद्ध शिक्षकों में शामिल हैं, वे भारत के लोकप्रिय राष्ट्रपति भी रहे .उन्हें भारत के मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है. उन्हें पढ़ाना बहुत ही पसंद था. उनका आखिरी लेक्चर शिलॉग के आइआइएम में हुआ था. अपने जीवन में एक अच्छा शिक्षक बनना चाहते थे.