Earthquake Alert: तुर्की और सीरिया में 6 फरवरी को आये विनाशकारी भूकंप में 45 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. हजारों घर जमींदोज हो गये हैं. लाखों लोग बेघर होकर खुले आसमान में सर्दी की रात गुजारने को मजबूर हो गये. कुल मिलाकर दोनों देशों में भूकंप का प्रचंड तांडव देखने को मिला. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या भारत में भी ऐसी तबाही आ सकती है. क्या भारत में भी मंडरा रहा है भूकंप का खतरा. एनडीआरआई के प्रमुख वैज्ञानिकों की मानें तो भारत में भी आ सकता है बड़ा और विनाशकारी भूकंप.
भारत में मंडरा रहा भूकंप का खतरा: इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत में भी बड़े और विनाशकारी भूकंप का खतरा मंडरा रहा है. न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख मौसम वैज्ञानिक ने चेतावनी देते हुए कहा है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट हर साल करीब 5 सेमी हिल रही है. इस हरकत से हिमालय की धरती में तनाव पैदा हो रहा है. ऐसे में इसकी संभावना बन रही है कि आने वाले समय में भारत में एक बड़ा भूकंप दस्तक दे.
हैदराबाद स्थित नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) के मुख्य वैज्ञानिक और भूकंप विज्ञान डॉ एन पूर्णचंद्र राव ने बताया कि धरती के अंदर जो प्लेटें हैं वो लगातार हिल रही है. भारतीय प्लेट में भी हलचल है. उन्होंने बताया कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट हर साल 5 सेमी सरक रही है. ऐसे में आने वाले दिनों में भारत में भी विनाशकारी भूकंप देखने को मिल सकती है. सीरिया और तुर्की की तरह भारत में कोई विनाशकारी भूकंप आएगा, इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. दरअसल, पृथ्वी की परत सात विशाल प्लेटों में विभाजित है. प्लेट की मोटाई लगभग 50 मील होती है और ये प्लेटें पृथ्वी के अंदर तथा कई छोटी प्लेटों के ऊपर धीमी गति से निरंतर गतिशील होती हैं. भूकंप के झटके इसी गतिशीलता से ही आते हैं.
भारत में भूकंप के खतरे: भारत के 59 फीसदी क्षेत्र में गंभीर भूकंप आने की आशंका है. यानी इन चिह्नित क्षेत्रों में आठ या उससे अधिक तीव्रता के झटके लग सकते हैं. बीते सवा सौ सालों में ऐसे चार भूकंप आ चुके हैं- शिलांग, 1897 (तीव्रता 8.7), कांगड़ा, 1905 (तीव्रता 8.0), बिहार-नेपाल, 1934 (तीव्रता 8.3) और असम-तिब्बत, 1950 (तीव्रता 8.6). बीते डेढ़-दो दशकों में लगभग एक दर्जन बड़े भूकंप आ चुके हैं, जिनमें हजारों लोगों की मौत हुई है. अनेक वैज्ञानिक अध्ययनों में यह स्पष्ट चेतावनी दी गयी है कि हिमालयी क्षेत्र में (इसमें हिमालय के निकटवर्ती मैदानी इलाके भी शामिल हैं) अत्यधिक तीव्रता का भूकंप कभी भी आ सकता है. ऐसी किसी आपदा से देश के करोड़ों लोग प्रभावित हो सकते हैं.
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खतरे के आधार पर चार जोन में बंटवारा: भूकंप की तीव्रता की आशंका के आधार पर देश के आशंकित 59 फीसदी हिस्से को चार जोन या क्षेत्रों में बांटा गया है. जोन पांच में भारत का 11 प्रतिशत, जोन चार में 18 प्रतिशत और जोन तीन में 30 प्रतिशत हिस्से हैं. शेष इलाके जोन दो में आते हैं. पहले जोन में भूकंप की आशंका नहीं होती.
सबसे खतरनाक जोन पांच में जम्मू-कश्मीर की कश्मीर घाटी, पश्चिमी हिमाचल प्रदेश, पूर्वी उत्तराखंड, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार के इलाके, पूर्वोत्तर के सभी राज्य तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह आते हैं. चौथे जोन में जम्मू-कश्मीर के बचे हुए इलाके, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड के शेष क्षेत्र, हरियाणा एवं पंजाब के कुछ हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग, बिहार एवं पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्र, गुजरात, पश्चिमी राजस्थान के कुछ क्षेत्र, तथा पश्चिमी तट के निकट महाराष्ट्र के कुछ इलाके आते हैं.