Teesta Setalvad Case: तीस्ता के पूर्व सहयोगी रहे रईस खान पठान ने खोली पोल, कहा- अहमद पटेल से मिले थे पैसे
Teesta Setalvad Case: सोशल वर्कर तीस्ता सीतलवाड़ के पूर्व सहयोगी रहे रईस खान पठान ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद कांग्रेस के दिवगंत नेता अहमद पटेल ने तीस्ता को सर्किट हाउस में मिलने के लिए बुलाया था.
Teesta Setalvad Case: गुजरात दंगे 2002 की जांच कर रही विशेष जांच दल (SIT) ने सोशल वर्कर तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर बड़े खुलासे किए हैं. इस बीच, तीस्ता सीतलवाड़ के पूर्व सहयोगी रहे रईस खान पठान ने भी इस मामले में बड़ी बात कही है. रईस खान पठान ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के दिवगंत नेता अहमद पटेल ने पहली बार तीस्ता को सर्किट हाउस में मिलने के लिए बुलाया था. अहमद पटेल ने तीस्ता से कहा कि वह बाबरी मस्जिद दंगों में उनकी भूमिका से परिचित हैं.
तीस्ता सीतलवाड़ को सौंपी गई थी 25 लाख की राशि
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, रईस खान पठान ने कहा कि अहमद पटेल ने तीस्ता सीतलवाड़ को अपनी ही पार्टी और देश-विदेश की एजेंसियों से फंड देने का आश्वासन दिया. शुरुआत में तीस्ता को 5 लाख रुपये की राशि दी गई. बाद में 25 लाख रुपये की राशि तीस्ता सीतलवाड़ को सौंपी गई. बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ के विदेशी कनेक्शन का खुलासा खुद उनके पूर्व सहयोगी रहे रईस खान पठान ने अदालत में जमा अपने एक हलफनामे में किया था.
#WATCH | Following 2002 Gujarat riots, when Ahmed Patel first called Teesta over to meet up at Circuit House, I tagged along with her. Ahmed Patel told Teesta that he was familiar with her role in the Babri Masjid riots: Rais Khan Pathan, former aide of activist Teesta Setalvad pic.twitter.com/gl9OgAmly3
— ANI (@ANI) July 16, 2022
तीस्ता के पास विदेशों से हवाला के जरिए जमकर आया था पैसा
रईस खान के मुताबिक, तीस्ता सीतलवाड़ के पास विदेशों से हवाला के जरिए जमकर पैसा आया था. तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद कम्युनलिज्म कॉम्बैट नाम की पत्रिका निकालते थे और इसको विदेश से फंडिंग होती थी. जिस काम के लिए विदेशी फंड मिले थे, उन्हें उससे इतर किसी मद में खर्च करना एफसीआरए का सीधा उल्लंघन माना गया. बाद में केंद्र सरकार ने तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद के सबरंग ट्रस्ट का एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने का फैसला किया था. सरकार का आरोप था कि यह ट्रस्ट एफसीआरए का उल्लंघन करता हैं. साथ ही यह राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में विदेश धन का इस्तेमाल करते हैं.