सरेंडर से बचने के लिए SC पहुंची तीस्ता सीतलवाड़, रेगुलर बेल पर सुनवाई करेगी स्पेशल बेंच

गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को तीस्ता सीतलवाड़ की मामले में नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी और तत्काल आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति निर्झर देसाई ने 2002 के गोधराकांड के बाद हुए दंगों में ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए साक्ष्य गढ़ने से जुड़े एक मामले में सीतलवाड़ की जमानत अर्जी खारिज की

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 1, 2023 8:18 PM
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नई दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने शनिवार को गुजरात हाईकोर्ट की ओर से नियमित जमानत अर्जी खारिज करने और तत्काल सरेंडर से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं. सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर 2002 में हुए गोधरा कांड के बाद गुजरात में फैले सांप्रदायिक दंगों से संबंधित मामलों में तथाकथित तौर पर सबूतों से छेड़छाड़ करने के साथ ही गवाहों को ट्रेनिंग देने का आरोप है. गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को उनकी नियमित जमानत अर्जी खारिज करते हुए उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच सोमवार या मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करेगी.

सोमवार या मंगलवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सर्वोच्च अदालत का मानना है कि हाईकोर्ट द्वारा तीस्ता सीतलवाड़ को आत्मसमर्पण करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए था. गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीस्ता सीतलवाड़ को आत्मसमर्पण के लिए समय देने पर आपत्ति जताई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया था. वह नौ महीने से जमानत पर हैं. हम सोमवार या मंगलवार को इस मामले पर विचार कर सकते हैं. अदालत ने कहा कि आगामी 72 घंटों में क्या होने वाला है?

गुजरात हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की

इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की मामले में नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें तत्काल आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया. अदालत ने टिप्पणी की कि सीतलवाड़ ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री तथा मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल कर उन्हें जेल भेजने की कोशिश की.

तीस्ता सीतलवाड़ की रिहाई से जाएगा गलत संदेश : हाईकोर्ट

न्यायमूर्ति निर्झर देसाई की अदालत ने 2002 के गोधराकांड के बाद हुए दंगों में ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए साक्ष्य गढ़ने से जुड़े एक मामले में सीतलवाड़ की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि उनकी रिहाई से गलत संदेश जाएगा कि लोकतांत्रिक देश में सब कुछ उदारता होता है. अदालत ने मौजूदा समय में अंतरिम जमानत पर रिहा तीस्ता सीतलवाड़ को तत्काल आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया. अदालत ने फैसला सुनाए जाने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ के वकील की ओर से 30 दिन तक आदेश के अमल पर रोक लगाने के अनुरोध को भी मानने से इनकार कर दिया.

25 जून 2022 को गिरफ्तार की गई थीं तीस्ता सीतलवाड़

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दर्ज एक मामले में तीस्ता सीतलवाड़ को पिछले वर्ष 25 जून को गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के साथ गिरफ्तार किया था. तीस्ता सीतलवाड़ और अन्य पर गोधरा कांड के बाद हुए दंगा में ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए साक्ष्य गढ़ने का आरोप हैं. उन्हें दो सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी.

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सरकार को अपदस्थ करने के लिए दाखिल किया झूठा हलफनामा

अपने फैसले में गुजरात हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि तीस्ता सीतलवाड़ ने अपने करीबी सहयोगियों और दंगा पीड़ितों का इस्तेमाल ‘सुप्रीम कोर्ट में तत्कालीन सरकार को अपदस्थ करने और संस्थान एवं उस समय के मुख्यमंत्री (मोदी) की छवि धूमिल करने के मकसद से झूठा और मनगढ़ंत हलफनामा दाखिल करने में किया.’ अदालत ने कहा कि अगर आज किसी राजनीतिक दल ने उन्हें कथित तौर पर (तत्कालीन) सरकार को अस्थिर करने का कार्य दिया था, तो कल कोई बाहरी ताकत भी इसी तरह का कार्य करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति का इस्तेमाल कर सकती है, जो देश और किसी खास राज्य के लिए खतरा पैदा कर सकती है.

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