Parliament Attack 2001: 22 साल पहले आतंकवादियों ने भारतीय संसद पर किया था हमला, जानें उस दिन की कहानी
संसद भवन पर हमले के दो दिन बाद साजिशकर्ता अफजल गुरु को गिरफ्तार किया गया. जिसे 12 साल के बाद फांसी पर लटकाया गया. सुरक्षाकर्मियों ने जान की बाजी लगाकर पांचों आतंकवादियों को मार गिराया. इस हमले में 9 जवान शहीद हो गए और 16 जवान घायल हुए थे.
22 साल पहले आज ही के दिन भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला हुआ था. जैश ए मोहम्मद के पांच आतंकियों ने लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर पर घुसने की नापाक कोशिश की थी, लेकिन वीर जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश के दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया था.
हमले के वक्त संसद भवन में मौजूद थे 200 सांसद
13 दिसंबर 2001, सुबह के 11 बजकर 30 मिनट हो रहे थे. सामान्य दिन की तरह संसद भवन में काम चल रहे थे. शीतकालीन सत्र चल रहा था. लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही हंगामे के कारण कुछ देर के लिए स्थगित थी. यही कारण कुछ सांसद संसद भवन से जा चुके थे, लेकिन लाल कृष्ण आडवाणी सहित करीब 200 सांसद उस समय भी संसद भवन के अंदर थे. सुरक्षाकर्मी भी संसद भवन में मौजूद थे. अचानक सफेद रंग की एंबेसेडर कार संसद भवन में प्रवेश करती है. गाड़ी में मंत्रालय का स्टीकर भी लगा था. लेकिन संसद भवन में प्रवेश के लिए जो तय रफ्तार थी उससे उस गाड़ी की रफ्तार ज्यादा थी. इस कारण सुरक्षाकर्मी जगदीश यादव गाड़ी को रोकने के लिए उसके पीछे भागते हैं. जगदीश यादव को गाड़ी के पीछे भागते देख उपराष्ट्रपति कृष्णकांत शर्मा के सुरक्षाकर्मी एएसआई जीत राम, एएसआई नानक चंद और एएसआई श्याम सिंह अपना पोजिशन ले लेते हैं और गाड़ी को रोकने की कोशिश करते हैं. सुरक्षाकर्मी को अपनी ओर आते देख गाड़ी का ड्राइवर गेट नंबर एक ही ओर मोड़ देता है. लेकिन उस दौरान अपना नियंत्रण खोने की वजह से गाड़ी उपराष्ट्रपति की कार से टकराती है. सुरक्षाकर्मी जबतक समझ पाते एंबेसेडर से पांच आतंकवादी उतरते हैं और गोलियों की बौछार करने लगते हैं. सभी के हाथ में एके-47 थे. उनके पीठ पर गोले और बारूद भरे थे.
गाड़ी को रोकने की कोशिश कर रहे सुरक्षाकर्मियों को आतंकवादियों ने अपना निशाना बनाया
संसद भवन में प्रवेश कर चुके पांचों आतंकवादियों ने सबसे पहले अपना निशाना गाड़ी का पीछा कर रहे सुरक्षाकर्मियों को बनाया. पलभर में ही स्थिति साफ हो चुकी थी कि देश के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर पर आतंकी हमला हो चुका है. आतंकवादियों ने 45 मिनट तक संसद भवन में गोली बरसाये. आतंकवादी लगातार संसद भवन के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे. इसी बीच सुरक्षाकर्मी, दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने भी मोर्चा संभाल लिया. दोनों ओर से गोलियों की बौछार शुरू हो गई. आतंकवादी लगातार अपना पोजिशन बदल रहे थे. सुरक्षाकर्मियों ने संसद भवन के अंदर जाने वाले सभी दरवाजों को बंद कर दिया और सभी गेट पर पोजिशन ले लिया.
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जवानों ने जान की बाजी लगाकर आतंकवादियों को मार गिराया
सुरक्षाकर्मियों ने जान की बाजी लगाकर पांचों आतंकवादियों को मार गिराया. इस हमले में 9 जवान शहीद हो गए और 16 जवान घायल हुए थे. शहीद होने वाले जवानों में जगदीश प्रसाद यादव, मातबर सिंह नेगी, नानक चंद, रामपाल, ओमप्रकाश, बिजेन्द्र सिंह, घनश्याम, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला कांस्टेबल कमलेश कुमारी और सीपीडब्ल्यूडी के एक कर्मचारी देशराज शामिल थे.
हमले की साजिश रचने वाले अफजल गुरु को हमले के दो दिन बाद किया गया गिरफ्तार
संसद भवन पर हमले के दो दिन बाद साजिशकर्ता अफजल गुरु को गिरफ्तार किया गया. जिसे 12 साल के बाद फांसी पर लटकाया गया. अफजल को 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी.
कैसी है मौजूदा संसद भवन की सुरक्षा
संसद भवन में हुए आतंकवादी हमले को देखते हुए नये संसद भवन में सुरक्षा को लेकर खास ध्यान दिया गया है. सुरक्षा के लिए कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. नये संसद भवन में थर्मल इमेजिंग सिस्टम लगाया गया है. इसके जरिए संसद भवन में अवैध घुसपैठ को आसानी से पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा संसद भवन अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. जिसमें फेस रिकग्निशन सिस्टम लगा हुआ है. इसके अलावा संसद भवन की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को आधुनिक हथियार और उपकरण से लैश किया गया है. साइबर हमले से बचाव के लिए सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की गई है.