Textile: देश में टेक्निकल टेक्सटाइल उद्योग वर्ष 2030 तक 10 बिलियन के लक्ष्य को पार कर सकता है. मौजूदा समय में मानव निर्मित फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल का घरेलू और वैश्विक स्तर पर जीवन के हर पहलू में उपयोग हो रहा है. टेक्निकल टेक्सटाइल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए है. नेशनल टेक्सटाइल मिशन, मानव निर्मित फैब्रिक, एपेरल और टेक्निकल टेक्सटाइल के लिए पीएलआई योजना शुरू की गयी है. ‘विकसित भारत-टेक्निकल टेक्सटाइल फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ एंड डेवलपमेंट’ पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार और प्रदर्शनी का उदघाटन करते हुए केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन पर कम्पेंडियम लांच किया और नेशनल टेक्सटाइल टेक्निकल मिशन के तहत मंजूर 11 स्टार्टअप को सर्टिफिकेट सौंपा. नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन के तहत 156 रिसर्च प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गयी, जिसमें कार्बन फाइबर का विकास और स्टार्टअप को सहायता देना शामिल है. कपड़ा मंत्री ने कहा कि मेडिटेक खासकर स्वच्छ उत्पादों के जरिये इस क्षेत्र में विकास के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. उच्च गुणवत्ता वाले फाइबर का प्रयोग कई क्षेत्रों जैसे एयरोस्पेस, ऑटोमोबाइल और निर्माण काम में होता है. इसके विकास की दिशा में काम करने की जरूरत है.
टेक्निकल टेक्सटाइल में भारत की हिस्सेदारी है कम
कपड़ा मंत्रालय की सचिव रचना शाह ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने में टेक्निकल टेक्सटाइल का अहम रोल रहने वाला है. वैश्विक स्तर पर टेक्निकल टेक्सटाइल का कारोबार 300 बिलियन डॉलर का है. भारत का टेक्निकल टेक्सटाइल बाजार 25 बिलियन डॉलर का है और निर्यात सिर्फ 2.5 बिलियन डॉलर का है. इसे बढ़ाने के लिए स्टैंडर्ड, क्वालिटी कंट्रोल और अंतर-विभागीय सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस मौके पर इसरो प्रमुख डॉक्टर एस सोमनाथ ने कहा कि उच्च क्षमता वाले फाइबर का प्रयोग एयरोस्पेस क्षेत्र में होता है और देश में इसका व्यावसायिक उत्पादन की सुविधा नहीं है. ऐसे में भारत को दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है. उन्होंने उद्योग और अन्य हितधारकों से इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश करने की गुजारिश की. ताकि वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी बढ़ सके.
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