Pegasus SPY Scandal: पेगासस जासूसी कांड पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने पेगासस मामले पर जवाब दाखिल किया. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को जानकारी दी है कि मोबाइल फोन में सेंध लगाने वाले पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी के आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी.
कमेटी बनाने के ऐलान के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने पेगासस से जासूसी के आरोपों (pegasus snooping allegations) को नकारा भी. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की तरफ से दो पेज का एफिडेविट दाखिल किया गया है. हलफनामे के मुताबिक सरकार विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाएगी, जो इस पेगासस विवाद की जांच करेगी.
अपने दो पन्ने के हलफनामे में केंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने सरकार पर जो आरोप लगाए वो सभी गलत हैं. उनकी ओर से किसी भी नेता, पत्रकार, अधिकारी की जासूसी नहीं करवाई गई. ये सभी आरोप अनुमानों पर आधारित हैं, जिस वजह से आरोपों में कोई दम नहीं है.
केंद्र ने आगे कहा कि उनकी ओर से कथित पेगासस स्नूपिंग के मुद्दे की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने चयन समितियों की सिफारिशों के बावजूद ट्रिब्यूनल में नियुक्ति करने के लिए केंद्र को 10 दिनों का समय दिया है.
केंद्र सरकार ने यह कदम ऐसे वक्त उठाया है, जब इस पेगासस जासूसी समेत कई मुद्दों को लेकर संसद के पूरे मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बना रहा.
राज्यसभा में सत्र के आखिरी दिन तो अप्रत्याशित स्थिति देखने को मिली. इस दौरान मार्शलों और महिला सांसदों के बीच धक्कामुक्की को लेकर वीडियो फुटेज सामने आए. वहीं सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने भी स्वतंत्रता दिवस से जुड़े एक समारोह में रविवार को संसद में उचित तरीके से चर्चा न होने को लेकर खेद जताया था.
बता दें कि पेगासस जासूसी का मुद्दा दुनिया भर के तमाम देशों में इन-दिनों सुर्खियां बना हुआ है. फ्रांस समेत कई देशों ने इसकी जांच को लेकर आदेश दिए हैं. याचिकाकर्ताओं ने यह दलील भी दी थी कि जब दूसरे देशों में इसको लेकर जांच हो रही है, तो भारत में क्यों नहीं. हालांकि रक्षा मंत्रालय ने एनएसओ से ऐसे स्पाईवेयर को लेकर कोई लेनदेन से स्पष्ट तौर पर इनकार किया है.
Posted By Ashish Lata