देहरादून: उत्तराखंड सरकार द्वारा चमोली जिले के गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाये जाने के बाद कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से प्रदेश की स्थायी राजधानी बताने को कहा है. गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाये जाने की अधिसूचना जारी होने पर सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री रावत को बधाई देते हुए उन्होंने यह सवाल पूछा . उन्होंने कहा,‘‘ मैं त्रिवेंद्र सिंह जी को बधाई दूंगा कि उन्होंने भराड़ीसैंण (गैरसैंण) को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी अधिसूचित कर दिया है. मगर उनसे इतना जरूर पूछना चाहूंगा कि यदि यह ग्रीष्मकालीन राजधानी है और देहरादून अस्थाई राजधानी है तो फिर राज्य की स्थाई राजधानी कहां है?” रावत ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य बनाते वक्त देहरादून को अस्थाई राजधानी बताया था तो अब यह एक यक्ष प्रश्न है कि राज्य की राजधानी कहां है.
इस वर्ष चार मार्च को गैरसैंण में आयोजित बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की थी . राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद कल सोमवार को गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की अधिसूचना जारी कर दी गयी . गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाए जाने का मुद्दा राज्य निर्माण के बाद से ही चर्चा में रहा है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता धीरेंद्र प्रताप ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने को छलावा बताते हुए कहा,‘‘ जब तक गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी नहीं बना दिया जाता हम अंतिम दम तक लड़ाई लड़ेंगे.” उधर, सत्ताधारी भाजपा ने गैरसैंण पर अधिसूचना जारी होने पर सभी प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री रावत ने गैरसैंण के विधानसभा सत्र में की गयी घोषणा को मूर्त रूप दे दिया है.
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भाषा के मुताबिक प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा, ‘‘त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने साबित कर दिया है कि उनकी सरकार जैसा कहती है, वैसा ही करती भी है.” यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में विकास का नया वातावरण बनेगा और राजकाज की दृष्टि से महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए लोगों को पर्वतीय क्षेत्रों की विकास संबंधी मूलभूत आवश्यकताओं को समझने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाना उन तमाम उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को समर्पित है जिन्होंने राज्य निर्माण में बलिदान दिया. चौहान ने कहा कि कोविड-19 के इस दौर में पर्वतीय क्षेत्रों के विकास सम्बन्धी सरोकारों में एक नयी बहस शुरु हुई है और पर्वतीय क्षेत्रों की दशा और दिशा बदलने का संकल्प मजबूत हुआ है.
Posted By: Pawan Singh