चुनाव आयोग की अर्जी पर आज सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया कवरेज को लेकर स्थिति साफ कर दी. चुनाव आयोग ने मांग की थी कि मीडिया औपचारिक आदेश को ही रिपोर्ट कर, जज की मौखिक टिप्पणी को खबर ना बनायें. मद्रास हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणियों के खिलाफ चुनाव आयोग की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मीडिया चाहे तो मौखिक टिप्पणी को भी खबर बना सकती है.
चुनाव आयोग की तरफ से दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, मीडिया की आजादी सिर्फ औपचारिक आदेश रिपोर्ट करने तक सीमित नहीं है, वो सुनवाई की पूरी प्रकिया ( मौखिक टिप्पणियों) को भी रिपोर्ट कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि इंटरनेशनल कोर्ट तो लाइव स्ट्रीमिंग तक की इजाजत देते हैं. गुजरात हाईकोर्ट में भी ऐसा है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने आदेश में इसका भी जिक्र किया कि मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी सख्त थी. कोरोना संक्रमण को नियंत्रण करने में कोर्ट की भूमिका भी अहम थी दूसरी तरफ चुनाव आयोग भी निष्पक्ष चुनाव कराता रहा है. सख्त टिप्पणी करने में सावधानी बरतने की आवश्यक्ता है. इन टिप्पणी को हटाया नहीं जा सकता और ना ही मौखकि टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से मीडिया को रोकाजा सकता है.
ध्यान रहे कि पिछले महीने मद्रास हाईकोर्ट ने कोरोना संकट के बीच चुनाव कराने को लेकर सख्त टिप्पणी की थी. कोर्ट ने गैर जिम्मेदार संस्था करार दे दिया था. हाईकोर्ट ने यहां तक कहा था कि आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए.
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चुनाव आयोग पर की गयी कोर्ट की इस टिप्पणी पर मीडिया ने खूब रिपोर्टिंग की थी आयोग इसी रिपोर्टिंग के विरोध में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था और मांग की थी आयोग को दोषी ठहराने वाली कोर्ट की मौखिक टिप्पणियों को मीडिया में छापने से रोका जाए. कोर्ट ने अब साफ कर दिया कि मौखिक टिप्पणी से भी खबर बनायी जा सकती है इसके लिए मीडिया को रोका नहीं जा सकता.