एकपक्षवाद के दिन गये, द्विपक्षीयता की अपनी सीमाएं हैं और बहुपक्षवाद पर्याप्त रूप से काम नहीं कर रहा : जयशंकर

JG Crawford Oration 2021, Foreign Minister, Jaishankar : नयी दिल्ली : जेजी क्रॉफर्ड ओरेशन 2021 में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि एकपक्षवाद के दिन खत्म हो गये हैं, द्विपक्षीयता की अपनी सीमाएं हैं और बहुपक्षवाद पर्याप्त रूप से काम नहीं कर रहा है. उन्होंने चीन के साथ बनते-बिगड़ते संबंधों पर भी बात की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 6, 2021 5:58 PM
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नयी दिल्ली : जेजी क्रॉफर्ड ओरेशन 2021 में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि एकपक्षवाद के दिन खत्म हो गये हैं, द्विपक्षीयता की अपनी सीमाएं हैं और बहुपक्षवाद पर्याप्त रूप से काम नहीं कर रहा है. साथ ही उन्होने चीन के साथ बनते-बिगड़ते संबंधों पर भी बात की.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ”1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन गये. हमारे संबंध इस तथ्य पर आधारित थे कि सीमा शांतिपूर्ण और शांत होगी. हमने ऐसा कई समझौतों के जरिये किया. इससे विश्वास पैदा हुआ, जिसमें कहा गया था कि अपनी सेना को सीमा पर मत लाओ.”

साथ ही कहा कि ”1975 के बाद जब हमारे बीच अपेक्षाकृत छोटी झड़प हुई थी, वास्तव में सीमा पर हमारी कोई मौत नहीं हुई थी. फिर भी हमने पिछले साल जो देखा, वह एक पूर्ण प्रस्थान था. बिना किसी अच्छे कारण के सीमा पर बहुत बड़ी संख्या में चीनी सैन्य उपस्थिति बहुत ऑपरेशनल मोड में थी.”

साथ ही विदेश मंत्री ने कहा कि ”एक बार जब हमने इसका प्रतिवाद किया, तो पिछले साल जून में एक बहुत ही गंभीर संघर्ष हुआ, जिसमें बहुत से लोगों की जान चली गयी. इसने रिश्ते को पूरी तरह से अलग दिशा में ले लिया है. भारत में, चीन के साथ हमारे संबंधों को कैसे प्रबंधित किया जाये, इसकी चुनौती बड़ी है.”

उन्होंने कहा कि ”एकपक्षवाद के दिन खत्म हो गये हैं, द्विपक्षीयता की अपनी सीमाएं हैं और बहुपक्षवाद पर्याप्त रूप से काम नहीं कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुधार का विरोध हमें और अधिक व्यावहारिक और तत्काल समाधान तलाशने के लिए मजबूर करता है. क्वाड का यही हाल है.”

साथ ही कहा कि ”जहां अमेरिका एक मजबूत शक्ति के रूप में स्पष्ट रूप से संघर्ष कर रहा है, वह प्रभाव और शक्ति चलाने की नयी अभिव्यक्तियों के संबंध में है. प्रतिस्पर्धा के समकालीन रूपों में संलग्न होने के दौरान इसमें ना केवल अंतर्निहित कमजोरियां हैं, बल्कि संरचनात्मक बाधाएं भी हैं.”

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि आइए स्पष्ट करें, यह केवल एक और शक्ति के उदय के बारे में नहीं है, हालांकि प्रमुख है. हमने अंतरराष्ट्रीय संबंधों के एक नये चरण में प्रवेश किया है और चीन के फिर से उभरने का पूरा प्रभाव प्रमुख शक्तियों की तुलना में अधिक महसूस किया जायेगा.

उन्होंने कहा कि जैसा कि हम आगे क्या उभरने की रूपरेखा को समझने की कोशिश करते हैं, इसमें कोई सवाल नहीं है कि इंडो-पैसिफिक इसके मूल में बहुत अधिक होगा. हालांकि, पिछले कुछ दशकों में एशिया यूरोप की तुलना में अधिक गतिशील रहा है, लेकिन इसकी क्षेत्रीय वास्तुकला कहीं अधिक रूढ़िवादी है.

एशिया और इंडो-पैसिफिक बहुत अधिक विस्तृत हैं, अधिक विविधता और कम सामूहिक व्यक्तित्व के साथ, उनके (एशियाई उप-क्षेत्र) विकास और आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के कारण उन्हें अपनी आर्थिक यात्रा की राजनीतिक संगत के बारे में अपेक्षाकृत न्यूनतर दृष्टिकोण लेने के लिए प्रेरित किया.

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