नयी दिल्ली : दिल्ली में बीती 11 फरवरी पिछले दस साल में सबसे गर्म रही. दिल्ली-एनसीआर में तापमान में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है.
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उत्तरी हिमालयी क्षेत्रों में पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कई इलाकों में बर्फबारी और बारिश के आसार हैं.
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दिल्ली में भी सर्दी की वापसी की उम्मीद की जा रही है. हालांकि, गुरुवार को अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया.
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नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने दिल्ली की ठंड और बारिश झेलने के बाद अब गर्मी में प्रदर्शन जारी रखने को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं.
करीब ढाई माह से ज्यादा समय से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दिल्ली की गर्मी झेलने को भी तैयार हैं. उनका कहना है कि मौसम की हर मार झेलने को तैयार हैं, लेकिन मांगों से पीछे नहीं हटेंगे.
किसान नेताओं को चिंता है कि दिल्ली में गर्मी बढ़ने से प्रदर्शन में उपस्थित होनेवाले किसानों की संख्या में कमी आ सकती है. आंदोलन को धार देने के लिए प्रदर्शनकारियों की समुचित संख्या का होना जरूरी है. इसलिए गर्मी से निबटने के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं.
दिल्ली की सीमाओं पर ठंड में डटे किसानों के विरोध प्रदर्शन में पहले जहां तिरपाल, अंगीठी-अलाव, रजाई-कंबल आदि की व्यवस्था की गयी थी. अब यहां जल्द ही तिरपाल की जगह मच्छरदारी, अंगीठी-अलाव की जगह पंखे-कूलर ले लेंगे. साथ ही पानी के टैंकरों की जगह वाटर कूलर दिखाई देने लगेंगे.
गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले भारतीय किसान यूनियन के नेताओं के मुताबिक, दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे तापमान के मद्देनजर पंखे-कूलर मंगाये जा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों की असुविधा को देखते हुए गर्मी से निबटने को लेकर अन्य जरूरी वस्तुएं भी माह के अंत तक उपलब्ध हो जायेंगी.
किसान यूनियनों ने गर्मी के मौसम के लिए टेंट, मच्छरदानी, वाटर कूलर, प्लास्टिक शीट आदि मंगाये जा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों को मंच से संबोधित करते हुए आश्वासन दिया गया है कि गर्मी में विरोध स्थल के लिए जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं. आंदोलन को जारी रखने की जरूरत है.
किसानों ने बताया कि गर्मी की तपिश से बचने के लिए शेड का निर्माण कराया जायेगा. सभी को ठंडा पानी उपलब्ध कराने के लिए वाटर कूलर और बर्फ की व्यवस्था भी की जायेगी. ठंडे पेय पदार्थ भी परोसे जायेंगे. जरूरी वस्तुओं की व्यवस्था के लिए गुरुद्वारा समितियों से भी संपर्क किया जा रहा है.