नयी दिल्ली : किसानों के आंदोलन पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा समर्थन देने और उनके मंत्रियों की बयानबाजी पर भारत ने शुक्रवार को कड़ा विरोध जताया है. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया. विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारतीय किसानों से संबंधित मुद्दों पर कनाडाई प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों और संसद सदस्यों द्वारा टिप्पणी हमारे आंतरिक मामलों में अस्वीकार्य हस्तक्षेप है.
Such actions, if continued, would have a seriously damaging impact on ties between India and Canada. These comments have encouraged gatherings of extremist activities in front of our High Commission and Consulates in Canada that raise issues of safety and security: MEA https://t.co/kfrzzvgLk6
— ANI (@ANI) December 4, 2020
विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि हम कनाडा के सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह भारतीय राजनयिक कर्मियों और उसके राजनीतिक नेताओं को चरमपंथी सक्रियता को वैध ठहरानेवाली घोषणाओं से बचना सुनिश्चित करे. यदि भारत और कनाडा के बीच संबंधों पर इस तरह के कार्यों का गंभीर प्रभाव पड़ेगा. इन टिप्पणियों ने कनाडा में हमारे उच्चायोग और वाणिज्य दूतावासों के सामने चरमपंथी गतिविधियों को इकट्ठा करने को प्रोत्साहित किया, जो सुरक्षा की चिंता उत्पन्न हुई.
इससे पहले आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने भी कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रृडो के बयान की निंदा की थी. साथ ही उन्होंने भी दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन को भारत का आंतरिक मामला बताया था. उन्होंने कहा था कि ”’आप’ का मानना है कि दूसरे देशों के निर्वाचित प्रमुखों का हस्तक्षेप या टिप्पणी अवांछित है. अपने घरेलू मामलों को संभालने में भारत सक्षम है.”
मालूम हो कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया था. गुरु गुरुनानक जयंती के मौके पर सिखों को शुभकामना संदेश देते हुए उन्होंने किसान आंदोलन का जिक्र भी किया था. उन्होंने कहा था कि ”हालात बेहद चिंताजनक हैं.” वहीं, कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह ने भी किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि ”भारत में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर क्रूरता परेशान कर