लॉकडाउन का हुआ असर, कोरोना मामलों में आ रही कमी : ICMR

ICMR: आईसीएमआर के संक्रामक रोग विभाग के डॉ रमण गंगाखेडकर ने एक साक्षात्कार के दौरान कोरोना वायरस से संबंधित सरकार के तैयारियों और लॉकडाउन (Lockdown) के बाद भी बरते जाने वाले एहतियात के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल से जो भी लोग घर से बाहर निकल रहे, अपने दफ्तर जा रहे हैं, वो सोशल डिस्टेंसिग (Social Distancing) का ध्यान जरूर रखें. क्योंकि आपकी एक गलती फिर से बीमारी को वापस ला सकती है, या बीमारी को आपके घर ला सकती है.

By Panchayatnama | April 20, 2020 2:56 PM

नयी दिल्‍ली : पूरे विश्व के साथ भारत भी इस वक्त कोरोना महामारी का दंश झेल रहा है. देश में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए समुचित लॉकडाउन किया गया था. हालांकि 20 अप्रैल से लॉकडाउन में कुछ रियायतें दी जा रही हैं. कुछ सेवाओं को शुरू किया गया है. आईसीएमआर के संक्रामक रोग विभाग के डॉ रमण गंगाखेडकर ने एक साक्षात्कार के दौरान कोरोना वायरस से संबंधित सरकार के तैयारियों और लॉकडाउन के बाद भी बरते जाने वाले एहतियात के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल से जो भी लोग घर से बाहर निकल रहे, अपने दफ्तर जा रहे हैं, वो सोशल डिस्टेंसिग का ध्यान जरूर रखें. क्योंकि आपकी एक गलती फिर से बीमारी को वापस ला सकती है, या बीमारी को आपके घर ला सकती है.

सरकार का ध्यान सभी राज्यों पर

सिर्फ आंकड़ों को देख कर यह कहना सही नहीं है कि किसी एक राज्य पर खास ध्यान रखना है. क्योंकि यह बीमारी ऐसी है कि आंकड़े कभी भी बढ़ सकते हैं. ऐसा नहीं कि महाराष्ट्र और दिल्ली में अगर कोरोना संक्रमण के ज्यादा मामले आ रहे हैं तो सरकार का ध्यान सिर्फ इन दो राज्यों पर है. सरकार का ध्यान उन उत्तर पश्चिमी राज्यों पर भी है जहां से कोरोना के एक या दो मामले आ रहे हैं या नहीं आ रहे हैं.

लॉकडाउन का हुआ असर

दुनिया के बाकी देशों की बात करें तो चीन ने इस बीमारी पर काफी हद तक काबू पा लिया है लेकिन अमेरिका में मामले बढ़ते जा रहे. पर भारत में अब कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या में धीरे-धीरे कमी आ रही है. यह लॉकडाउन से ही संभव हो पाया है. क्योंकि अलग सही समय पर लॉकडाउन लागू नहीं किया गया होता हो अभी देश में बीमारी का प्रकोप ज्यादा होता. इससे पता चलता है कि दुनिया के बाकी देशों की तुलना में हम अपने कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से लागू कर रहे हैं. पर इसका अर्थ यह नहीं है कि लोग समझे की सभी चीजे सही हो गयी है. हमें अभी भी इस बीमारी से डरने की जरूरत है. इसलिए लॉकडाउन खुलने के बाद भी हमें संयमित रहने की जरूरत है.

पार्शियल लॉकडाउन खुलने पर भी रखें ध्यान 20 अप्रैल के बाद देश में कुछ सेवाओं को लॉकडाउन से ढील दी जा रही है, इसका मतलब यह नहीं है कि देश में मामले कम आ रहे हैं तो हम पूरी तरह सुरक्षित है. इसलिए इस दौरान भी हमें बीमारी से बचने के लिए बताये गये उपायों का सख्ती से पालन करना होगा. सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना होगा, मास्क लगाने होंगे. सेनेटाइजर का इस्तेमाल करना होगा. हमें एक बात हमेशा याद रखनी होगी की अगर हम नियमों का पालन नहीं करते हैं तो कोरोना का वापस आने के आसार बढ़ सकते हैं. इसलिए हम आज जो सीखे हैै इसका पालन करना होगा, भले ही लॉकडाउन खुलता जाये.

समाज को आगे आना होगातीन मई को जब लॉकडाउन पूरी तरह खुल जायेगा उसके बाद संक्रमण नहीं बढ़े उसके लिए समाज को आगे आना होगा. हर एक व्यक्ति को अपने ऊपर जिम्मेदारी लेनी होगी की जो भी बातें हमने लॉकडाउन के दौरान सीखा है, उसका पालन करना होगा. एक व्यक्ति को दूसरे को बताना होगा कि आप सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. डॉ डॉ गंगा खेडकर ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि जब लोग घरों से बाहर जायेंगे तब सभी बातों का ध्यान रखेंगे. लोग इसे नहीं भूलेंगे नहीं की अभी तक कोरोना की दवा का अविष्कार नहीं हुआ है. उन्हें समय-समय पर इस बात को याद दिलाना होगा कि हमारी एक गलती परिवार देश और समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. तीन मई को लोग जब घरों से बाहर निकलेंगे तो वे एक दूसरे से सुरक्षित दूरी रखेंगे क्योंकि उन्हें देखने वाले भी बहुत लोग होंगे.

जिन लोगों में बीमारी के लक्षण नहीं है वो चिंता का विषयजिन लोगों में बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं वो हमारे लिए चिंता का विषय है क्योंकि हम सभी देशवासियों की जांच नहीं कर सकते हैं, यह मुनासिब भी नहीं है और इसमें खर्च भी बहुत आयेगा. क्योंकि हमारी जनसंख्या भी अधिक है. इसलिए हमें संभल कर चलना होगा. हमें एक चीज याद रखना होगा की जिस व्यक्ति में कोरोना के लक्षण नहीं हो और वो कोरोना पॉजिटिव है, तो यह बात तो तय है कि वो इंसान भी किसी के संपर्क में आने से बीमारी हुई होगी. इसलिए यह तय करना होगा कि जिस व्यक्ति में लक्षण दिखाई दे रहे हैं उसे अलग रहना होगा. इसे तय करना होगा कि वो किसी दूसरे व्यक्ति के संपर्क में नहीं आयेगा. इसके साथ ही वो किस व्यक्ति के संपर्क में आया है उसकी जांच करनी होगी. हर इंसान को यह समझना होगा कि मुझे बीमारी हुई होगी इसलिए उसे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. अगर संख्या कम होगी तो हम अच्छे से उस पर काम कर पायेंगे.

किसे जांच करना है यह तय करना होगा. जांच की रफ्तार बढ़ाना आसान है, पर किसकी जांच की जाय यह तय करना होगा. इसकी कीमत आज बहुत ज्यादा है. अगर टेस्टिंग रेट को स्बसिडाइज्ड भी करें तो उसमें कितना खर्च आयेगा यह सोचने वाली बात है. अगर दूसरे पहलू को देखे तो हम सभी प्रकार के मामलों की जांच कर रहे हैं. जो भी हॉटस्पॉट है वहां पर साधारण बुखार वाले मरीजों की भी जांच की जा रही है. अगर जांच की क्षमता की बात करें तो 190 आईसीएमआर नेटवर्क जांच लैब हैं जो मुफ्त में जांच कर रहे हैं. अगर पूरी जनसंख्या के जांच की बात करें तो यह खतरा सामने आती है कि क्या सभी को इस बीमारी के लगने का खतरा है. दूसरे देशों के मुकाबले भारत देश में 26 टेस्ट करने पर एक कोरोना पॉजिटिव मामला सामने आता है, जबकि जापान में फ्रांस में पांच टेस्ट पर एक कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है.

सामुदायिक संक्रमण नहीं कह सकते हैंएक जगह पर ज्यादा कलस्टर दिखाई दे रहे हैं यह वैसे लोग हो सकते हैं जो दूसरे गांव गये थे. उनका संपर्क ऐसे व्यक्ति से हुआ होगा जो बाहर से आया होगा. हम उनके संपर्कों की जांच कर पा रहे हैं. यह सामुदायिक संक्रमण नहीं है. सामुदायिक संक्रमण में हमें यह पता नहीं चल पायेगा की संक्रमण कहां से आया है. उत्तर पश्चिमी राज्यों नें सबसे पहले लॉकडाउन शुरू हुआ था, हो सकता है यह इसका परिणाम है कि उन राज्यों में संक्रमण के कम मामले आये हैं.

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