सूरज की सतह हो रही कम गर्म, वैज्ञानिकों न जतायी सौर तूफान की आंशका
पृथ्वी पर सबको उर्जा देने वाला सूरज इन दिनों कम गर्म हो रहा है.सूरज की सतह पर दिखने वाले धब्बे बिलकुल खत्म होते जा रहे है.सूरज की तरफ से मिलने वाले इन संकेतो से वैज्ञानिक भी हैरान है उनको भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है.हालांकि, वैज्ञानिकों को आंशका है कि कहीं सूरज की तरफ से आने वाले बड़े सौर तूफान के तो संकेत नहीं है.बता दें, अगर सूरज का तापमान कम होगा तो इससे कई देश बर्फ में जम सकते है वहीं दूसरी ओर भूकंप और सुनामी आ सकती है
पृथ्वी पर सबको उर्जा देने वाला सूरज इन दिनों कम गर्म हो रहा है.सूरज की सतह पर दिखने वाले धब्बे बिलकुल खत्म होते जा रहे है.सूरज की तरफ से मिलने वाले इन संकेतो से वैज्ञानिक भी हैरान है उनको भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है.हालांकि, वैज्ञानिकों को आंशका है कि कहीं सूरज की तरफ से आने वाले बड़े सौर तूफान के तो संकेत नहीं है.बता दें, अगर सूरज का तापमान कम होगा तो इससे कई देश बर्फ में जम सकते है वहीं दूसरी ओर भूकंप और सुनामी आ सकती है.
गौरतलब है कि सूरज के सतह को गर्म न होने को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि सूरज पर सोलर मिनिमम की प्रक्रिया चल रही है यानी सरल शब्दों में सूरज आराम कर रहा है.वहीं दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञ इसे सूरज का रिसेशन और लॉकडाउन कह रहे है. बरहाल सूरज की सतह पर दिखने वाले धब्बों का घटना ठीक नहीं माना जाता है.
जिसका अर्थ है कि सूर्य की सतह पर गतिविधि नाटकीय रूप से गिर गई है, और इसका चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो गया है, जिससे पर्यावरण में अधिक से अधिक ब्रह्मांडीय किरणें हैं जो नाटकीय बिजली के तूफान का कारण बनती हैं और अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष हार्डवेयर के साथ हस्तक्षेप करती हैं
डेली मेल में प्रकाशित एक खबर के अनुसार 17 वीं और 18 वीं शताब्दी में, यूरोप में सूरज की सतह ऐसे ही सुस्त हो गयी थी.जिसकी वजह से यूरोप में हिमयुग जैसे हालात हो गए थे, टेम्स नदी जमकर बर्फ बन गयी थी, फसलें खराब हो गयी थी, आसमान में बिजली कड़कती थी.
Reduced activity on the solar surface has sparked fears of a doomsday mini ice age https://t.co/a6tBvCIBzb
— Daily Mail Online (@MailOnline) May 15, 2020
लेकिन एक दिलचस्प बात ये है कि साल 2016 में जुलाई के महीने में ज्यादातर मौसम शुष्क और वारिश वाला होता है लेकिन ऐसे में यूरोप में जमकर हिमपात हुआ था.दूसरी ओर रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी का कहना है कि सूरज की यह एक प्रक्रिया है जो हर 11 साल में ऐसा करता है. अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी का भी यह मानना है कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इससे डरने की जरूरत नहीं है.बर्फवारी जैसा कुछ भी नहीं होगा.
There Is No Impending 'Mini Ice Age' – Despite solar minimum https://t.co/oaVZcA15VJ
— GHG Warrior (@GHGWarrior) May 18, 2020
सूरज की सतह के इस तरह गर्म न होने पर नासा के वैज्ञानिकों को डर है कि सोलर मिनिमम के कारण 1790 से 1830 के बीच पैदा हुए डैल्टन मिनिमम की स्थिति वापस आ सकती है.जिसकी वजह से कड़ाके की ठंड,फसलों के नुकसान की. भूकंप और सुनामी की घटनाएं बढ़ सकती है.