CWC में होगा बड़ा उलटफेर, लोकसभा इलेक्शन से पहले किसे मिलेगी एंट्री और कौन होगा बाहर ? जानें

कांग्रेस अपनी वर्किंग कमिटी में बड़ा उलटफेर करने जा रही है. यह बदलाव अगले साल होने वाले लोकसभा इलेक्शन को देखते हुए किये जाएंगे. अंदाजा लगाया जा रहा है इस बार पार्टी में नये चेहरे देखने को मिल सकते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2023 10:45 AM
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लोकसभा इलेक्शन से पहले कांग्रेस अपनी वर्किंग कमिटी (CWC) में बड़ा उलटफेर कर सकती है. बता दें मौजूदा सीडब्ल्यूसी में 25 स्थायी मेंबर्स के साथ ही कई खास आमंत्रणों और महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस जैसे फ्रंटल आर्गेनाईजेशन के प्रमुख शामिल हैं. इस साल फरवरी के महीने में रायपुर में आयोजित की गयी कांग्रेस के पूर्ण सेशन के दौरान पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सीडब्ल्यूसी के मेंबर्स का चुनाव करने की जगह उन्हें नॉमिनेट करने के लिए ऑथोराइज्ड किया गया था. जानकारी के लिए बता दें कांग्रेस अपनी वर्किंग कमिटी में SC, ST, OBC, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और युवाओं के लिए 50 फीसदी रिजर्वेशन देने के लिए संविधान में संशोधन किया था. वहीं, पार्टी ने सीडब्ल्यूसी में मेंबर्स की संख्या को 25 से बढ़ाते हुए 35 कर दिया था.

सीडब्ल्यूसी में होगी नये पार्टिसिपेंट्स की एंट्री?

पार्टी के सीनियर नेताओं की माने तो इस बीमार कांग्रेस वर्किंग कमिटी में जान डालने के लिए नये पार्टिसिपेंट्स को जरूर लाया जाना चाहिए. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार सीडब्ल्यूसी में एंट्री लेने के लिए रमेश चेन्निथला, राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन, पूर्व दलित कांग्रेस प्रमुख नितिन राउत, कर्नाटक के सीनियर नेता बीके हरिप्रसाद, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हान और पूर्व कैबिनेट मंत्री सुबोधकांत सहाय के नामों की चर्चा सबसे ज्यादा तेज है. सूत्रों की माने तो कमिटी में उन लोगों को शामिल करने की चर्चा ज्यादा हो रही है जिनके पास चुनाव लड़ने का अनुभव सबसे ज्यादा है.

इन्हें किया जा सकता है सीडब्ल्यूसी से बाहर

सूत्रों ने बताया कि जनरल सेक्रेटरी अविनाश पांडे, पंजाब के प्रभारी हरिश चौधरी, महाराष्ट्र के प्रभारी एचके पाटिल, बिहार के प्रभारी भक्त चरण दस और केरल के पूर्व सीएम ओमन चांडी की बदला जा सकता है. केवल यही नहीं, इनके अलावा केएच मुनियप्पा, रघु शर्मा और दिनेश गुंडो राव को भी बदला जा सकता है. बता दें कांग्रेस का मानना है कि ये सभी नेता अपने राज्यों में अपनी खासियतों का इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि, जनरल इलेक्शन से पहले पार्टी को इसका फायदा मिल सके.

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