नई दिल्ली : त्योहारों के सीजन में देश में बिजली किल्लत होने का खतरा मंडरा रहा है. कोयल की भारी कमी की वजह से थर्मल पावर प्लांटों से बिजली उत्पादन बंद होने की स्थिति पैदा हो गई है. सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि आखिर अचानक किस कारण से देश में कोयला संकट पैदा गया, जिसका असर बिजली उत्पादन पर पड़ने लगा है? कहा यह जाने लगा है कि भारत में भी कहीं चीन की तरह कोयले का संकट पैदा न हो जाए, जिसके चलते आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है.
मानसून सीजन में कोयले उत्पादित बिजली की खपत अचानक बढ़ गई, जिसके चलते देश के थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की कमी आ गई. हालांकि, मानसून शुरू होने के पहले थर्मल पावर प्लांटों में कोयले का पर्याप्त स्टॉक जमा नहीं किया गया है. बताया यह जा रहा है कि कोरोना संक्रमण में कमी आने के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार आते ही बिजली की मांग में बढ़ोतरी हो गई. इस बीच, सितंबर महीने के दौरान भारी बारिश के चलते कोयला खदानों से उत्पादन में खासी कमी दर्ज की गई. इसके साथ ही, दूसरे देश से आयातित कोयले की कीमत में बढ़ोतरी हो गई, जिससे कोयले के आयात को कम कर दिया गया.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के केवल 33 फीसदी रह जाएगा. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश के कुल 135 थर्मल पावर प्लांटों में से करीब 72 प्लांट के पास केवल तीन दिन के बिजली उत्पादन का ही कोयले का स्टॉक बचा हुआ है. वहीं, 4 थर्मल प्लांटों के पास 10 दिन और करीब 13 थर्मल पावर प्लांटों के पास 10 दिन से अधिक समय तक का कोयला बचा हुआ है.
देश में बढ़ते कोयला संकट की वजह से खानों से दूर स्थित यानी नॉन पिटहेड करीब 64 पावर प्लांटों के पास 4 दिन से भी कम समय का कोयला बचा है. केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 25 ऐसे बिजली प्लांटों के पास 3 अक्टूबर को 7 दिन से भी कम समय का स्टॉक था. कम से कम 64 थर्मल पावर प्लांट के पास चार दिनों से भी कम समय का ईंधन बचा है.
विशेषज्ञों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इन 135 थर्मल पावर प्लांटों में देश में खपत होने वाली कुल बिजली का करीब 66.35 फीसदी उत्पादन किया जाता है. आशंका यह जताई जा रही है कि कोयले की कमी के चलते उत्पादन ठप होता है, बिजली का कुल उत्पादन केवल 33 फीसदी ही रह जाएगा, जिसका असर आपूर्ति पर भी दिखाई देगा.
सीईए 135 पावर प्लांटों में कोयले के स्टॉक की निगरानी करता है. इनकी कुल उत्पादन क्षमता दैनिक आधार पर 165 गीगावॉट है. कुल मिलाकर 3 अक्टूबर को 135 प्लांटों में कुल 78,09,200 टन कोयले का भंडार था और यह चार दिन के लिए पर्याप्त है. रिपोर्ट के अनुसार 135 प्लांटों में से किसी के भी पास 8 या उससे अधिक दिनों का कोयले का स्टॉक नहीं था.
बता दें कि पिछले दो साल के दौरान देश में बिजली की खपत में करीब 3,760 करोड़ यूनिट की वृद्धि दर्ज की गई है. सरकार के आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में कोरोना महामारी की शुरुआत के पहले वर्ष 2019 के अगस्त-सितंबर महीने के दौरान देश में रोजाना करीब 10,660 करोड़ यूनिट बिजली की खपत होती थी. अब वर्ष 2021 के अगस्त-सितंबर महीने के दौरान यह बढ़कर करीब 14,420 करोड़ यूनिट हो गई है. इसके साथ ही, इन दो सालों में बिजली उत्पादन के लिए कोयले की खपत में करीब 18 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
Also Read: अगले 6 महीने तक नहीं मिलेगी बिजली, कोयले की कमी से जूझ रहे थर्मल पावर प्लांट
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि मुझे यह नहीं पता कि आने वाले 5 से 6 महीने में भी हम ऊर्जा के मामले में सामान्य स्थिति में रहेंगे या नहीं? वे मानते हैं कि 40 से 50 गीगावॉट की क्षमता वाले थर्मल प्लांट्स में तीन दिन से भी कम का ईंधन बचा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि देश में कोयले का पर्याप्त भंडार है, जिससे सभी मांगों की पूर्ति की जा सकती है. उन्होंने कहा कि कोयले की मांग बढ़ी है और हम इस मांग को पूरा कर रहे हैं. हम मांगों में और वृद्धि को पूरा करने की स्थिति में हैं. फिलहाल, हमारे पास कोयले का जो स्टॉक है, वह 4 दिनों तक चल सकता है. चीन की तरह भारत में कोयला संकट नहीं है.