देश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है, बहुत संभव है कि अक्टूबर या नवंबर तक देश में कोरोना का थर्ड वेव आ जाये. यही वजह है कि सरकार तैयारियों में जुटी है ताकि संक्रमितों का समय पर इलाज किया जा सके. वैक्सीनेशन की प्रक्रिया भी तेजी से जारी है और अबतक 59 करोड़ से अधिक कोविड वैक्सीन का डोज दिया जा चुका है. लेकिन चुनौती यह है कि वैक्सीनेशन के बाद भी ब्रेकथ्रू इंफेक्शन का डर बना हुआ है.
कोरोना की दूसरी लहर के समय भी यह देखा गया कि वैक्सीन का एक डोज और दोनों डोज लेने वालों को कोरोना का संक्रमण हुआ. वैक्सीनेशन सौ प्रतिशत कारगर नहीं है, यही वजह है कि ब्रेकथ्रू इंफेक्शन की आशंका कायम है.
कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट की वजह से ब्रेकथ्रू इंफेक्शन का खतरा बना हुआ है, क्योंकि इस वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन सौ प्रतिशत कारगर नहीं है. हालांकि अभी तक जो आंकड़े उपलब्ध हैं उसके अनुसार वैक्सीनेशन से डेल्टा वैरिएंट का खतरा कम होता है और लोगों को माइल्ड इंफेक्शन होता है और मृत्यु की आशंका कम होती है.
ब्रेकथ्रू इंफेक्शन उसे कहते हैं जिसमें वैक्सीन का एक या दोनों डोज लेने के बाद भी किसी को कोरोना का संक्रमण हो जाये. संक्रमण होने पर संक्रमित व्यक्ति में कई तरह के लक्षण दिखाई पड़ते हैं मसलन बुखार, सर्दी, खांसी, आंखों का लाल होना, डायरिया, स्वाद और गंध महसूस ना होना इत्यादि क्या वैक्सीन काम नहीं करता है? वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर है और यह काफी हद तक मृत्यु के खतरे को समाप्त करता है. बावजूद इसके संक्रमण की आशंका है, लेकिन वह बहुत खतरनाक नहीं होती है. अभी तक दुनिया में कोई ऐसी वैक्सीन नहीं बनी है जो यह दावा करती हो कि वह कोरोना वायरस के खिलाफ 100प्रतिशत कारगर है.
पहले यह माना जा रहा था कि जो लोग वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं वे संक्रमित हो जायें, तो दूसरों को संक्रमित नहीं करते हैं, लेकिन अमेरिका में हुए नये अध्ययन में यह जानकारी सामने आयी है कि वैक्सीनेशन के बाद भी जो लोग संक्रमित होते हैं वे दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं.
Posted By : Rajneesh Anand