दूसरी लहर की तरह गंभीर नहीं होगी कोरोना की तीसरी लहर, फिर भी रखनी होगी सावधानी, वैक्सीन सबसे बड़ा हथियार

नयी दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा लंदन के इंपीरियल कॉलेज के सहयोग से किये गये एक अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 (Coronavirus) महामारी की तीसरी लहर दूसरी लहर की तरह गंभीर नहीं हो सकती है. टीकाकरण अभियान (Vaccination in India) को बढ़ाने से इसे कम करने में मदद मिल सकती है. हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, टीकाकरण में तेजी लाकर आने वाली लहर का असर कम किया जा सकता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 26, 2021 8:06 AM

नयी दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा लंदन के इंपीरियल कॉलेज के सहयोग से किये गये एक अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 (Coronavirus) महामारी की तीसरी लहर दूसरी लहर की तरह गंभीर नहीं हो सकती है. टीकाकरण अभियान (Vaccination in India) को बढ़ाने से इसे कम करने में मदद मिल सकती है. हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, टीकाकरण में तेजी लाकर आने वाली लहर का असर कम किया जा सकता है.

गणितीय मॉडलिंग विश्लेषण पर आधारित अध्ययन से पता चलता है कि नये वेरिएंट में एक नयी लहर पैदा होने की संभावना तब तक नहीं है जब तक कि यह पिछले संक्रमण से प्रतिरक्षा सुरक्षा को पूरी तरह से नुकसान न पहुंचा दे. मतलब जो लोग संक्रमित हो चुके हैं उनकी प्रतिरक्षा समाप्त होने तक नये वेरिएंट का असर नहीं होगा. अध्ययन में कहा गया है कि एक अधिक संक्रामक वेरिएंट को तीसरी लहर पैदा करने के लिए प्रजनन संख्या सीमा 4.5 को पार करना होगा.

अध्ययन में कहा गया है कि टीकाकरण के प्रयासों में तेजी से बढ़ोतरी इन और भविष्य की बीमारी की लहरों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. यह अध्ययन प्रशंसनीय तंत्र को प्रदर्शित करता है जिसके द्वारा एक बड़ी तीसरी लहर हो सकती है, जबकि यह भी दर्शाती है कि इस तरह के किसी भी पुनरुत्थान के लिए दूसरी लहर जितनी बड़ी होने की संभावना नहीं है.

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डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा वेरिएंट को लेकर फिर चेताया

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख ने कहा है कि पहली बार भारत में पाये गया कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट अब तक का सबसे संक्रामक वेरिएंट है. यह भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है. यह इस समय करीब-करीब 85 देशों में फैल रहा है. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेडरोस आधानोम घेबरेसस ने कहा कि गरीब देशों में टीके की अनुपलब्धता डेल्टा स्वरूप के प्रसार में सहायक सिद्ध हो रही है

उन्होंने कहा कि गरीब और विकासशील देशों को गरीब देशों केलिए वैक्सीन का प्रबंध करना चाहिए. गरीब देश निराश हैं, क्योंकि उनके पास वैक्सीन नहीं है. बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने गरीब देशों ते वैक्सीन की पहुंच गनाने के लिए कोवैक्स पहल शुरू की है. इसके तहत अमीर देश वैक्सीन दान करेंगे, जिन्हें गरीब देशों तक पहुंचाया जायेगा. कोरोना की दूसरी लहर ने इस योजना को भी प्रभावित किया है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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