अब छत्तीसगढ़ के जंगल में शिकार करेंगे MP के Tiger, बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा यह कदम
छत्तीसगढ़ राज्य में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश से बाघ लाए जाएंगे. इन बाघों को अचानकमार बाघ अभयारण्य में छोड़ा जाएगा. अचानकमार बाघ अभयारण्य में वन्य प्राणियों के लिए जल स्त्रोतों और चारागाह को विकसित किया गया है, जिससे शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या में वृद्धि हो सके.
छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश से बाघ लाने का फैसला किया है. जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सोमवार को उनके निवास कार्यालय में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में फैसला किया गया कि राज्य में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश से बाघ लाए जाएंगे. इन बाघों को अचानकमार बाघ अभयारण्य में छोड़ा जाएगा. इसके साथ ही बारनवापारा अभ्यारण्य में भी अनुकूल परिस्थितियों के कारण बाघ छोड़े जाएंगे.
अचानकमार बाघ अभयारण्य में छोड़े जाएंगे टाइगर: बता दें, छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या चार गुना करने के लिए ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ (जीटीएफ) द्वारा प्रस्ताव दिया गया था जिसके क्रियान्वयन की अनुमति बैठक में दी गई. इसके तहत मध्यप्रदेश से बाघ लाकर अचानकमार बाघ अभयारण्य में छोड़े जाएंगे. अधिकारियों ने बताया कि अचानकमार बाघ अभयारण्य में वन्य प्राणियों के लिए जल स्त्रोतों और चारागाह को विकसित किया गया है, जिससे शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या में वृद्धि हो सके.
प्रस्ताव को मिली सैद्धांतिक सहमति: छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभयारण्य में फिर से बाघों को पुनर्स्थापित करने के लिए वहां बाघ छोड़ने के प्रस्ताव को भी सैद्धांतिक सहमति दी गई. अधिकारियों ने बताया कि बारनवापारा अभयारण्य में 2010 तक बाघ पाए जाते थे. उन्होंने बताया कि शाकाहारी वन्य प्राणियों को विभिन्न प्रजनन केंद्रों और अन्य स्थानों से लाकर राज्य के संरक्षित क्षेत्रों के प्राकृतिक रहवास में छोड़ा गया है. राज्य के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में 49 चीतल, बारनवापारा अभयारण्य में 39 काला हिरण, गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में 113 चीतल, अचानकमार बाघ अभयारण्य में 20 चीतल और तमोर पिंगला अभयारण्य में 14 चीतल छोड़े गए हैं.
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने वन्य प्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए वनों की 10 किलोमीटर की परिधि के गांवों में आजीविका संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने, वन्य प्राणियों की सुरक्षा की दृष्टि से वन क्षेत्रों में संचार नेटवर्क को मजबूत बनाने, हाथी-मानव द्वंद रोकने के लिए जागरूकता अभियान को गति देने और वन्य प्राणियों के लिए पानी तथा चारागाह विकसित करने का निर्देश दिया है.