Tobacco Free: देश में तंबाकू सेवन के कारण हर साल लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ती है. सरकार की कोशिश देश के सभी शिक्षण संस्थानों को तंबाकू मुक्त करने की है ताकि युवा तंबाकू सेवन से दूर रह सके. इस बाबत शनिवार को केंद्रीय शिक्षा और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिवों ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को संयुक्त दिशा-निर्देशजारी किया है. राज्यों के मुख्य सचिवों को जारी दिशा-निर्देशमें तंबाकू मुक्त शिक्षा संस्थान के मैन्युअल का पालन करने को कहा गया है. इस बाबत वर्ष 2003 में शिक्षण संस्थानों के लिए कोप्टा कानून(सिगरेट एवं अन्य तंबाकू पदार्थ कानून) के नियमों का पालन करने की बात कही गयी है.
दिशा-निर्देशमें तंबाकू सेवन के दुष्प्रभाव खासकर बच्चों और युवाओं का जिक्र किया गया है. ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे 2019 का हवाला देते हुए कहा गया है कि स्कूल जाने वाले 13-15 साल के 8.5 फीसदी विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पाद का सेवन करते है. चिंता की बात देश में हर रोज 5500 बच्चे तंबाकू सेवन की शुरुआत करते हैं. देश में आजीवन तंबाकू सेवन करने वाले 55 फीसदी लोग 20 साल की उम्र से पहले इसका सेवन करने लगते हैं.
भावी पीढ़ी को नशे से बचाना जरूरी
दिशा-निर्देश में युवाओं को तंबाकू सेवन के खतरे से बचाने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करने पर जोर दिया गया है. ताकि देश की भावी पीढ़ी को तंबाकू सेवन के खतरे के प्रति जागरूक किया जा सके. इसके लिए सभी संस्थानों को तंबाकू नियंत्रण उपाय को अपनाना होगा. नेशनल टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शिक्षण संस्थानों को तंबाकू मुक्त करने के लिए दिशा-निर्देशजारी किया है.
अब स्कूली शिक्षा विभाग और साक्षरता ने तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान बनाने के लिए मैनुअल तैयार किया है. इसे बनाने में सोसियो इकोनॉमिक एंड एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसाइटी का सहयोग लिया गया. विभाग 31 मई को सभी राज्यों को मैनुअल दे चुका है ताकि इसका सही तरीके से पालन हो सके. इसके तहत तंबाकू सेवन के खतरे को लेकर छात्रों, शिक्षकों और अन्य लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जायेगा. शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय इस बाबत राज्यों और जिला स्तर के अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेगा ताकि दिशा-निर्देश का सही तरीके से पालन हो सके.